सूफी, वेदांत और रहस्यवादी दर्शन से प्रभावित मेहर बाबा एक रहस्यवादी सिद्ध पुरुष थे। कई वर्षों तक वे मौन साधना में रहे। मेहर बाबा के भक्त उन्हें परमेश्वर का अवतर मानते हैं।
25 फरवरी 1894 में मेहर बाबा का जन्म पूना में पारसी परिवार में हुआ। 31 जनवरी 1969 को मेहराबाद में उन्होंने देह छोड़ दी। उनका मूल नाम मेरवान एस. ईरानी था। वह एस. मुंदेगर ईरानी के दूसरे नंबर के पुत्र थे।
बाबा एक अच्छे कवि और वक्त थे तथा उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था। 19 वर्ष की आयु में उनकी मुलाकात रहस्यदर्शी महिला संत हजरत बाबाजान से हुई और उनका जीवन बदल गया। इसके बाद उन्होंने नागपुर के हजरत ताजुद्दीन बाबा, केदगाँव के नारायण महाराज, शिर्डी के साँई बाबा और साकोरी के उपासनी महाराज अर्थात पाँच महत्वपूर्ण हस्तियों को अपना गुरु माना।
मेहर मंदिर : उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में बाबा के भक्त परमेश्वरी दयाल पुकर ने 1964 ई. में मेहर मंदिर का निर्माण करवाया था। 18 नवम्बर 1970 ई. को मंदिर में अवतार मेहर बाबा की प्रतिमा स्थापित की गई थी। यहाँ पर प्रत्येक वर्ष 18 और 19 नवम्बर को मेहर प्रेम मेले का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा भी मेहर बाबा के कई मंदिर है।
मेहराबाद आश्रम : हालाँकि मूलत: उनका विशालकाय आश्रम महाराष्ट्र के अहमदनगर के पास मेहराबाद में हैं जो मेहर बाबा के भक्तों की गतिविधियों का केंद्र माना जाता है। इसके पहले मुंबई में आश्रम था।