Life of saint Eknath: एकनाथ षष्ठी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो संत एकनाथ महाराज की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। मराठी साहित्य और भक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले संत एकनाथ महाराज की पुण्यतिथि एकनाथ षष्ठी के रूप में वर्ष 2025 में, 20 मार्च, गुरुवार को मनाई जाएगी।ALSO READ: पापमोचनी एकादशी कब है, क्या है इसका महत्व?
एकनाथ महाराज का जीवन परिचय और एकनाथ षष्ठी का महत्व: संत एकनाथ महाराज का जन्म 1533 ईस्वी में पैठण (महाराष्ट्र) में एक प्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार हुआ था तथा वे वारकरी संप्रदाया के प्रसिद्ध संत कहे जाते हैं। उनके पिता श्री सूर्यनारायण तथा माता रुक्मिणी थीं। उनका वास्तविक नाम एकनाथ सूर्यजीपंत कुलकर्णी था।
एकनाथ षष्ठी त्योहार संत एकनाथ महाराज के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है तथा उनके द्वारा किए गए सामाजिक और आध्यात्मिक कार्यों को याद दिलाता है। साथ ही उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की हमें प्रेरणा भी देता है। उन्हें 'ज्ञानाचा एका' नाम से भी जाना जाता है। वे एक उच्चकोटि के कवि, समाजसुधारक और संस्कृत के अभ्यासक थे। उन्होंने अपने गुरु से ज्ञानेश्वरी, अमृतानुभव, श्रीमद्भागवत आदि ग्रंथों का अध्ययन किया था।
संत एकनाथ महाराज का योगदान:
- संत एकनाथ महाराज एक महान संत, कवि और समाज सुधारक थे।
- उन्होंने भगवत गीता, रामायण और भागवत पुराण जैसे ग्रंथों पर टीकाएं लिखीं।
- अभंग, भारुड और गवलन जैसे भक्ति गीतों की रचना भी उन्होंने की।
- एकनाथ महाराज ने समाज में व्याप्त कुरीतियों और अंधविश्वासों का विरोध किया।
- साथ ही सभी धर्मों के लोगों को एक साथ रहने और प्यार करने का उपदेश उन्होंने दिया।
- उनकी रचनाओं में श्रीमद्भागवत एकादश स्कंध की मराठी-टीका, चतु:श्लोकी भागवत, रुक्मिणी स्वयंवर, भावार्थ रामायण, संत चरित्र और आनंद लहरी आदि प्रमुख हैं।
कैसे और कैसे मनाएं एकनाथ षष्ठी पर्व: एकनाथ षष्ठी के दिन, भक्त संत एकनाथ महाराज के मंदिरों में जाकर उनकी पूजा करते हैं तथा उनके द्वारा रचित भजनों और कीर्तनों का पाठ करते हैं। संत एकनाथ महाराज के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित प्रवचन सुनते हैं। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान दिया जाता हैं।
एकनाथ षष्ठी एक ऐसा त्योहार है जो हमें संत एकनाथ महाराज के आदर्शों और मूल्यों को याद दिलाता है। यह त्योहार हमें प्रेम, करुणा और सद्भाव का संदेश देता है। एकनाथ महाराज ने जिस दिन समाधि ली थी, वह दिन नाथ षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन महाराष्ट्र में, खासकर पैठण के क्षेत्रों में उनका समाधि उत्सव मनाया जाता है, यहां हजारों वारकरी देश-विदेश से वहां पहुंचकर इस उत्सव में भाग लेते हैं।
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