प्रेमानंद महाराज के 10 क्रांतिकारी विचार

WD Feature Desk

मंगलवार, 20 फ़रवरी 2024 (15:23 IST)
Sant premanand ji maharaj : संत श्री हरि प्रेमानंद महाराज जो बहुत निर्मल और सरल स्वभाव के संत हैं, वे वृंदावन में ही रहते हैं। प्रेमानंद जी महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में सरसौल के अखरी गांव में हुआ था। प्रेमानंद जी के बचपन का नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे हैं। इनके पिता का नाम श्री शंभू पांडे और माता का नाम श्रीमती रामा देवी है। प्रेमानंदजी महाराज ने श्री राधा राधावल्लभी संप्रदाय में दीक्षा ली है। आओ जानते हैं उनके 10 क्रांतिकारी विचार।
ALSO READ: संत प्रेमानंद महाराज के बारे में 10 खास बातें, जानें क्या है असली नाम
1. प्रेमानंदजी महाराज का मानना है कि कलयुग में श्रीहरि की भक्ति ही हमें तार सकती है और कोई मार्ग या उपाय नहीं है। इसलिए रोज जप करेंगे तो सभी तरह के संकट मिट जाएंगे। प्रभु का नाम जप संख्या से नहीं डूब कर करो।
 
2. हमें सच्चा प्रेम प्रभु से प्राप्त होता है किसी व्यक्ति से क्या होगा कोई व्यक्ति हमसे प्यार कर ही नहीं सकता क्योंकि वो हमे जानता ही नहीं तो कैसे करेगा।
 
3. बहुत होश में यह मत सोचो कोई देख नहीं रहा। आज तुम बुरा कर रहे हो, तो तुम्हारे पुण्य खर्चा हो रहे हैं। जिस दिन तुम्हारे पुण्य खर्चे हुए, अभी का पाप और पीछे का पाप मिलेगा, त्रिभुवन में कोई तुम्हें बचा नहीं सकेगा।
 
4. ब्रह्मचर्य की रक्षा करें। ब्रह्मचर्य बहुत बड़ा अमृत तत्व है, मूर्खता के कारण लोग इसे ध्यान नहीं देते हैं।
 
5. कौन क्या कर रहा है इस पर ध्यान मत दो केवल हमें सुधरना है इस पर ध्यान दो।
Premanand maharaj
6. कोई व्यक्ति तुम्हें दुख नहीं देता तुम्हारे कर्म उस व्यक्ति के द्वारा दुख के रूप में प्राप्त होते हैं। 
 
7. सत्य की राह में चलने वाले की निंदा बुराई अवश्य होती है। इससे घबराना नहीं चाहिए। यह आपके बुरे कर्मों का नाश करती है। जहां आपके लिए निंदा और बुराई हो, वहां आपके बुरे कर्मों का नाश हो जाता है।
 
8. अगर हमको अपने मन को शांत करना है मन को स्थिर करना है तो एक उपाय है प्रभु के चरणों का दृढ़ता पूर्वक आश्रय और नाम जप करे।
 
9. मनुष्य जीवन सत्य मार्ग के लिए है अच्छे बनो, मां बाप की सेवा क्यों बीमारों का सेवा करो जरूरतमंद का मद्द करो यही मनुष्य जीवन है।
 
10. क्रोध को शांत करने के लिए एक ही उपाय है बजाय यह सोचने के कि उसका हमारे प्रति क्या कर्तव्य है? हम यह सोचे कि हमारा उसके प्रति क्या कर्तव्य है। क्रोध से आज तक कभी किसी का मंगल नहीं हुआ है यह आपके समस्त गुणों का नाश कर देता है इसलिए क्रोध की संगति से दूर रहें।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी