15वीं शताब्दी के आरंभ में भारत में लूट-खसोट, छुआछूत, हिन्दू-मुस्लिम झगड़ों आदि के कारण स्थितियां बड़ी अराजक बनी हुई थीं। ऐसे विकट समय में पश्चिम राजस्थान के पोकरण नामक प्रसिद्ध नगर के पास रुणिचा नामक स्थान में तोमरवंशीय राजपूत और रुणिचा के शासक अजमलजी के घर भादौ शुक्ल पक्ष दूज के दिन विक्रम संवत् 1409 को बाबा रामदेव पीर अवतरित हुए।