हिंदी साहित्य में संत सूरदास (Saint Surdas) का नाम प्रमुख कवियों में शामिल है। वे भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त थे और उन्होंने कृष्ण भक्ति में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। तिथि के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को संत सूरदास का जन्म दिवस मनाया जाता है।
उनका जन्म दिल्ली के पास सीही नाम के गांव में एक निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। सूरदास जन्म से ही अंधे थे, उन्होंने कृष्ण लीला को अपने काव्य का विषय बनाया तथा उन्हें हिन्दी के अनन्यतम और ब्रजभाषा के आदि कवि भी कहा जाता है।
संपूर्ण भारत में मध्ययुग में कई भक्त कवि और गायक हुए लेकिन सूरदास का नाम उन सभी में सर्वाधिक प्रसिद्ध और महान कवि के तौर पर लिया जाता है। उनकी लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि एक अंधे भक्त गायक का नाम भारतीय धर्म में इतने आदर से लिया जाता है। वे 'सूरसागर' के रचयिता है।