मध्यकाल में कालिका माता, हनुमानजी, भैरवनाथ, बगलामुखी आदि देवी और देवताओं सहित कई यक्षिणियों, पिशाचिनियों आदि के साबर मंत्र भी बनाए गए थे। मध्यकाल में तांत्रिक, काला जादू जानने वाले, बंजारे, आदिवासी, वनवासी, घुमक्कड़ और ठेठ गांव के लोगों में प्रचलित थे ये साबर मंत्र। आम शहरी जनता में ये मंत्र कभी प्रचलित नहीं रहे। आज भी कई तांत्रिक और जानकार लोग ही इन गुप्त मंत्रों के रहस्य को जानते हैं। कई साबर मंत्र तो अब लुप्त हो चुके हैं।