अंगदान पर लगा कोरोनावायरस का ग्रहण, मरीजों के लिए बना संकट

रविवार, 26 जुलाई 2020 (15:33 IST)
इंदौर (मध्य प्रदेश)। कोविड-19 के प्रकोप से पहले इंदौर मरणोपरांत अंगदान के बड़े राष्ट्रीय केंद्र के रूप में उभर रहा था। लेकिन इस महामारी के पिछले 4 महीने से जारी कहर के चलते जिले में दिमागी रूप से मृत रोगियों के अंगदान का सिलसिला रुक गया है। इससे उन मरीजों के सामने जान का संकट पैदा हो गया है जिन्हें नई जिंदगी के लिए दूसरे लोगों के स्वस्थ अंगों की सख्त जरूरत है।

शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय की डीन ज्योति बिंदल ने रविवार को पुष्टि की कि जिले में 24 मार्च को कोविड-19 के शुरुआती मामले सामने के बाद से मरणोपरांत अंगदान (किसी मरीज की दिमागी रूप से मौत की मेडिकल पुष्टि के बाद होने वाला अंगदान) नहीं हो सका है।

उन्होंने हालांकि बताया कि शहर के एक निजी अस्पताल में एक जीवित व्यक्ति ने 17 जुलाई को जरूरतमंद मरीज को अपने लीवर का हिस्सा दान किया है। जानकारों का कहना है कि कोविड-19 के प्रकोप के चलते रोगियों के मरणोपरांत अंगदान और इस प्रक्रिया से निकाले गए अंगों को जरूरतमंद मरीजों के शरीर में प्रतिरोपित करने के कई जोखिम हैं।

हालांकि अंगदान को बढ़ावा देने वाले गैर सरकारी संगठनों की मांग है कि महामारी से बचाव के जरूरी उपाय अपनाते हुए इंदौर में मरणोपरांत अंगदान का सिलसिला बहाल किया जाना चाहिए ताकि खराब अंगों के साथ सांसों की जंग लड़ रहे मरीजों की जान बचाई जा सके।

इंदौर सोसायटी फॉर ऑर्गन डोनेशन जिले में अंगदान की सरकारी प्रक्रिया पूरी कराती है। इस समिति से जुड़े गैर सरकारी संगठन 'मुस्कान ग्रुप' के कार्यकर्ता संदीपन आर्य ने बताया, जरूरतमंद मरीजों के परिजन पिछले कई दिन से हमें फोन करके लगातार पूछ रहे हैं कि क्या किसी व्यक्ति के मरणोपरांत अंगदान के जरिए उनके लिए अंगों की व्यवस्था हो सकती है? लेकिन कोविड-19 के संक्रमण काल के दौरान इंदौर में मरणोपरांत अंगदान का सिलसिला चार महीने से थमा हुआ है।

उन्होंने दावा किया, अगर अंगदान की सख्त जरूरत वाले मरीज कोविड-19 की चपेट में आ जाते हैं, तो उनके जीवन पर खतरा पहले के मुकाबले बढ़ जाता है। शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 के प्रकोप से नए देहदान का क्रम भी बाधित हुआ है।

हालांकि स्थानीय चिकित्सा महाविद्यालयों में फिलहाल प्रायोगिक कक्षाएं बंद होने से इसका कोई असर नहीं पड़ा है। अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 के प्रकोप से पहले, इंदौर में पिछले चार साल के दौरान दिमागी रूप से मृत 39 मरीजों का अंगदान हो चुका है।

इससे मिले हृदय, लीवर, किडनी, आंखों और त्वचा के प्रतिरोपण से मध्य प्रदेश के अलावा दिल्ली, हरियाणा और महाराष्ट्र में 220 से ज्यादा जरूरमंद मरीजों को नए जीवन की अनमोल सौगात मिली है। उन्होंने बताया कि दूसरे सूबों के जरूरतमंद मरीजों के लिए विशेष व्यवस्था कर अंगों को हवाई मार्ग से संबंधित शहरों तक पहुंचाया गया है। इंदौर, देश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक गुजरे चार महीनों के दौरान जिले में कोरोनावायरस संक्रमण के कुल 6,858 मामले मिले हैं। इनमें से 304 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि इलाज के बाद 4,660 लोग इस महामारी से उबर चुके हैं।(भाषा)

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