समाज में शांति के लिए काम करें युवा

Webdunia
गुरुवार, 21 सितम्बर 2017 (19:30 IST)
इन्दौर। भारतीय मनीषियों, विद्वानों तथा साहित्यकारों ने ईसा के हजारों वर्ष पूर्व ही शांति और सद्‍भाव की बातें कही हैं तथा विश्व को 'वसुधैव कुटुम्बकम' का विचार अपनाने का आह्वान किया था। हथियारों और युद्ध से भूमि व क्षेत्र तो जीता जा सकता है किन्तु शांति नहीं आ सकती। युवा समाज को बांटने वालों, हिंसा फैलाने तथा नफरत की बातें करने वालों के बहकावे में न आकर समाज में शांति के लिए प्रयास करें। 
 
उक्त बातें विश्व शांति दिवस के अवसर पर पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला खंडवा रोड पर सद्‍भावना अभियान एवं स्कूल ऑफ जर्नलिज्म द्वारा आयोजित परिचर्चा में विभिन्न वक्ताओं ने कही। 'विश्व शांति में युवाओं की भूमिका' विषय पर आयोजित चर्चा में मुख्य वक्ता 'वेबदुनिया' के संपादक जयदीप कर्णिक ने कहा कि भारत युवाओं का देश है। युद्ध तथा हथियारों से शांति नहीं लाई जा सकती। युवा जाति, धर्म, भाषा तथा नफरत को छोड़कर मिलकर रहना चाहते हैं, किन्तु कुछ लोग धर्म, भाषा तथा नाम पर बांटने तथा उनके लाभ के लिए समाज में नफरत फैलाने तथा लड़वाने की कोशिश करते हैं। 
 
कर्णिक ने कहा कि विश्व में हथियारों के व्यापार को बढ़ाने के लिए राष्ट्रों को युद्ध की ओर धकेला जा रहा है, जबकि युद्ध से कोई लाभ नहीं होता। नागाशाकी और हिरोशिमा में आज भी विकलांग बच्चे जन्म ले रहे हैं। अतः युवा समाज में शांति के लिए कार्य करें।
 
परिचर्चा में विभागाध्यक्ष जयंत सोनवलेकर ने कहा कि भारत में हजारों सालों से धार्मिक शास्त्रों, ग्रंथों तथा साहित्य में शांति की बातें कही गई हैं। भारतीय मनीषियों, विद्वानों ने वसुधैव कुटुम्बकम को अपनाया है। अतः देश शांति का टापू बनकर दुनिया का नेतृत्व करे। इस कार्य में युवा आगे आकर देश का नेतृत्व करें।
 
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता मुकुंद कुलकर्णी ने कहा, संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1983 से 21 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू की है। हम शांति के लिए प्रयास करें। उन्होंने कहा कि युद्ध से किसी भी समस्या का निराकरण नहीं हो सकता, दुनिया में घटित होने वाली प्रत्येक घटना से हम भी प्रभावित होते हैं। विभिन्न राष्ट्रों द्वारा हथियारों के परीक्षण से दुनिया का पर्यावरण तक खराब हो रहा है। अतः हम अभी भी सजग नहीं हुए तो इसके परिणाम हम सभी को भुगतना पड़ेंगे। 
 
प्रारंभ में फिरोज खान, अतुल कर्णिक, उषा शर्मा, नीता राठौर, ललिता शर्मा, तबरेज खान, कृष्णा त्यागी आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. रेखा आचार्य ने तथा आभार प्रदर्शन शफी शेख ने किया।

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