शहर के अखंड नगर में रहने वाले इस राहुल गांधी ने बताया कि मेरे पास अपनी पहचान के दस्तावेज के रूप में केवल आधार कार्ड है। मैं जब मोबाइल सिम खरीदने या दूसरे कामों के लिए इस दस्तावेज की प्रति किसी के सामने पेश करता हूं तो लोग मेरे नाम के कारण इसे संदेह की निगाह से देखते हुए फर्जी समझते हैं। वे मेरे चेहरे पर आश्चर्यभरी निगाह डालते हैं।
उन्होंने कहा कि जब मैं किसी काम से अपरिचित लोगों को कॉल कर अपना परिचय देता हूं, तो इनमें से कई लोग यह तंज कसते हुए अचानक फोन काट देते हैं कि राहुल गांधी कब से इंदौर में रहने आ गए? वे मुझे फर्जी कॉलर समझते हैं।
गांधी, पेशे से कपड़ा व्यापारी हैं और उनके मौजूदा उपनाम के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। उन्होंने बताया कि उनके दिवंगत पिता राजेश मालवीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में वॉशरमैन के रूप में पदस्थ थे और उनके आला अधिकारी उन्हें 'गांधी' कहकर पुकारते थे।
पांचवीं तक पढ़े युवक ने कहा कि दलीय राजनीति से मेरा कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन मेरे मौजूदा उपनाम से मुझे अपनी पहचान को लेकर परेशानी हो रही है। इस कारण मैं कानूनी प्रक्रिया के तहत अपना उपनाम गांधी से बदलकर मालवीय करने पर विचार कर रहा हूं। (भाषा)