लेखिका निर्मला भुराड़िया ने अपनी चर्चित कविता 'सामंतों की बीवियां नहीं करती हैं घूमर, वे करती हैं घूंघट' का वाचन किया। उनकी यह रचना पद्मावती विवाद पर लिखी गई है। इसी दौरान लीलाधर जगूड़ी ने 'पैर के जूते' कविता सुनाकर साहित्य महोत्सव की गरिमा में वृद्धि की।