अपनी नई पुस्तक 'सस्पेक्टेड पोएम्स' के विमोचन के अवसर पर उन्होंने यह बात कही। इस पुस्तक में भारत की राजनीति से जुड़े कटु पहलुओं के बारे में बात की गई है। साथ ही टैटू, अखबार, राजनीतिक रैली और दलित भी इस किताब में शामिल कविताओं के विषय के केंद्र में हैं। इस संग्रह में एक कविता दिवंगत लेखक एम एम कलबुर्गी पर भी है।
82 वर्षीय गुलजार ने कहा,'हमें निश्चित तौर पर अपने राष्ट्र और उसके पर्यावरण के बारे में सोचना चाहिए..आपके लिए यह महसूस करना जरूरी है कि आपके आसपास जो घटित हो रहा है और इसके बारे में सूचित करने की जिम्मेदारी मेरी है।'' गुलजार की पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद करने वाले सांसद पवन वर्मा ने कहा कि यह 'मुश्किल' कार्य था, खासकर इसलिए क्योंकि कविताओं में कई चीजें एक साथ हैं। बकौल वर्मा ये कविताएं गुदगुदाती हैं और साथ ही समकालीन भारत में हो रहे परिवर्तनों पर तीखी निगाह रखती हैं।