शहर के अटलबिहारी शासकीय कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय में 'किन्नर सभ्यता, संस्कृति और साहित्य : चिंतन और चुनौतियां' विषय पर आयोजित सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में किन्नर अखाड़े की मुखिया लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने कहा कि हमने एशिया की पहली ऐसी संस्था 'अस्तित्व' बनाई थी, जिसमें प्रेसीडेंट से लेकर चपरासी तक सभी किन्नर थे। इसके माध्यम से यह धारणा टूटी कि किन्नर कुछ नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि आज मैं जो भी कुछ हूं अपने गुरुओं की बदौलत हूं। मैंने ऐसे कार्य किए हैं, जो अच्छे-अच्छे मर्द नहीं कर पाते। त्रिपाठी ने कहा कि समाज में किन्नरों की उपेक्षा होती है, जो कि सही नहीं है। लैंगिक समानता के लिए शिक्षा में बदलाव की जरूरत है। देवी सरस्वती भी व्यक्ति देखकर ज्ञान नहीं देतीं। ज्ञान तो उसे मिलता है जो ज्ञान का भूखा होता है।
कार्यक्रम के दोनों सत्रों की अध्यक्षता प्राचार्य वंदना अग्निहोत्री ने की। दूसरे सत्र की मुख्य अतिथि किन्नर संघ भोपाल की अध्यक्ष देवी रानी थीं। इस अवसर पर साहित्यकार, पत्रकार निर्मला भुराड़िया, आत्माराम शर्मा, डॉ. सोनाली नरगुंदे, प्रो. डेव पलोविक (स्लोवाकिया) डॉ. कला जोशी, डॉ. राजीव शर्मा, डॉ. अनूप व्यास आदि उपस्थित थे।