जनक पलटा मगिलिगन के अनुसार होली और रंगपंचमी खुशी, उत्साह और आनंद का त्योहार है। लेकिन कई लोग रंगों के कारण होली खेलने से बचते हैं। बाज़ार में मिलने वाले रंग त्वचा और सेहत के लिए हानिकारक होते हैं। यह शरीर और त्वचा पर रिएक्शन, इन्फेक्शन व एलर्जी जैसी समस्या का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा कपड़ो पर लगे रंग नहीं छूटने के डर और टेंशन के कारण कई लोग होली नहीं खेलते हैं।
बाज़ार में मिलने वाले इन रंगों में कांच के टुकड़े भी होते हैं जो स्किन के साथ आंखों के लिए भी बहुत हानिकारक हैं। रासायनिक रंगो से बिमार न हो, आओ हमारे इस त्यौहार को खुश्नमा बनाए, होली ऐसी खेलें कि तन-मन रंग जाए, इतने प्रेम से खेले कि अगली होली का इंतज़ार रहे।
जलवायु संकट का सबसे बड़ा इलाज अपने त्यौहार व जीवन के हर अवसर पर प्रकृति के प्रति संवेदन शील होना ज़रूरी है। स्वच्छ, सुंदर व सुरक्षित पर्यावरण के लिए प्रकृतिक रंगों से होली खेलें। इन आर्गेनिक रंगों से प्लास्टिक में पैक, बनावटी और मिलावटी रंगों से परहेज़ करें। शुद्धता, सादगी से प्राकृतिक वस्तुओं व संसाधनों का उपयोग ही हमारे तन, मन, धन को बचा सकता है।
जनक दीदी असली फूलो व फलों, गुलाब, बोगन विलिया, अम्बाड़ी, पलाश, गेंदे, संतरे के छिलके, पोई, चुकन्दर से सूखे और गीले नेचुरल कलर बनाना सिखाएंगी। इंदौर सिल्वर स्प्रिंग्स से महिलाओं के समूह, गांव सनावादिया से महिलाएं युवा, श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान के छात्र, अहिल्या आश्रम से सुनयना शर्मा के साथ बच्चे, केन्द्रीय विद्यालय आई आई टी इंदौर, उज्जैन के साइन्स कालेज और स्वयंसेवकों के समूह सीखेंगे। प्रशिक्ष्ण सभी उम्र व् लोगों के लिए खुला है कोई शुल्क या पंजीकरण नहीं है।