इंदौर क्राइम ब्रांच को मुखबिर से सुचना मिली थी कि छात्रों के होस्टल, कमरों, मल्टी में सुबह-सुबह मोबाइल और लैपटॉप चोरी करने वाली गैंग तमिलनाडु की है और ये लोग सुबह-सुबह देवास से बस में बैठकर इंदौर आते हैं और जहां-जहां पर पढ़ाई करने वाले छात्र किराए से होस्टल और कमरों में रहते हैं, वहां-वहां पर जाकर चोरियां करते हैं।
इस पर क्राइम ब्रांच इंदौर की टीम ने योजना बनाकर 3 संदिग्धों को पकड़ा। इनसे नाम-पता पूछने पर उन्होंने अपना नाम वी. शक्तिवेल, वी. संतोष और विजय उर्फ वेटरी होना बताया है। आरोपियों से पूछताछ करने में उनकी भाषा की समस्या होने से भाषा कन्वर्ट करने वाले की मदद से पूछताछ की गई।
आरोपियों के कब्जे से 3 एन्ड्रॉइड मोबाइल फोन भी मिले। इसके संबंध में पूछताछ पर पता चला कि ये मोबाइल थाना संयोगितागंज क्षेत्र, थाना एमआईजी क्षेत्र और अरबिंदो अस्पताल से चुराए गए हैं। आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि होस्टल में सुबह-सुबह जब छात्र सोए रहते थे तभी ये लोग योजनाबद्ध तरीके से विकास नगर, देवास से आकर उसका फायदा उठाते हुए मोबाइल तथा लैपटॉप चुरा लेते थे।
आरोपी वेल्लूर (तमिलनाडु) से आकर देवास के विकास नगर में किराए के मकान में रहते थे तथा वारदात के बाद वापस देवास चले जाते थे और चोरी करने के बाद करीबन 10-15 दिन बाद वापस वेल्लूर (तमिलनाडु) अपने निवास पर चले जाते थे। चोरी का सामान वहां पर मांजा कुमार (निवासी पेरनांपट, जिला वेल्लूर, तमिलनाडु) व एसएनआर कुमार यूआरपी (निवासी ग्राम मादनूर, थाना आम्पुर, जिला तिरुपत्तूर) को बेच देते थे।
एडिशनल डीसीपी (क्राइम) राजेश दंडोतिया ने बताया कि आरोपी एकसाथ होकर शहर के अलग-अलग हिस्सों में वारदात को अंजाम देते थे। चोरी का मास्टरमाइंड वी. शिवकुमार है, जो कि वैल्लुर (तमिलनाडु) से अपने साथियों को यहां पर लेकर आता था तथा वही चोरी के लैपटॉप व मोबाइलों को बेचने का काम करता था।