हमारे पास सिरपुर तालाब और यशवंत सागर प्राकृतिक विरासत है: डॉ जनक पलटा मगिलिगन

Wetlands Day 2024
2 फरवरी 2024 को वेटलैंड दिवस का कार्यक्रम आयोजित होने वाला है। इस दिवस की तैयारी हेतु 30 जनवरी 2024 को होटल रेडिसन ब्लू में कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री डॉ. जनक पलटा मगिलिगन शामिल हुईं। यह कार्यशाला मध्यप्रदेश राज्य के भोपाल से आयोजित की गई जिसमें वेटलैंड अथॉरिटी स्कूल का प्लानिंग और आर्किटेक्चर व एप जैसे मुख्य बिन्दुओं पर चर्चा की गई।

इन चर्चा में शामिल डॉ. जनक पलटा ने रामसर वेटलैंड साइट के मुख्य बिन्दुओं पर बात की और उन्होंने कहा कि इंदौर बहुत सौभाग्यशाली है कि रामसर वेटलैंड साइटों में से हमारे पास सिरपुर तालाब और यशवंत सागर प्राकृतिक विरासत है जिससे लाखों लोगों को स्वास्थ्य और अच्छा जल वायु रखने में जीवनदाई हैं।   
 
उन्होंने आगे बताया कि अब समय आ गया है कि इंदौर के लोगों को इन दोनों का संरक्षण करने आगे आना होगा, इसे बचाना होगा, क्योंकि इसे बचाकर हम अपने और भविष्य के जीवन को सुरक्षित कर सकते हैं। हम जब इन जगह पर जाएंगे तो हमारा शरीरिक, मानसिक, सामाजिक और आध्यत्मिक विकास होगा।

मुझे याद है 1985 में, मैं चंडीगढ़ से बहाई पाइनियर आदिवासी महिलाओं को प्रशिक्षित करने और बरली ग्रामीण महिला विकास संस्थान की स्थापना करने के लिए इंदौर आई। यहां कहीं पानी या तालाब नहीं दिखता था। मैं चंडीगढ़ सुखना लेक पर रोज़ सुबह सैर पर जाती थी, सुखना लेक इतनी सुन्दर है और किसी को नहीं पता कि वो सुखना लेक किसकी है। आज 39 साल यहां रहते हुए भी उसे मिस करती हूं। 
 
हर व्यक्ति अपने शहर की लेक को अपना मानता है और लोग उसका रख रखाव ठीक से करते हैं, उसको गंदा नहीं करते बड़े-बड़े ऑफिसर और काम करने वाले, लोग वहां के पढ़ने-पढ़ाने वाले लोग, युवा लोग, जब बारिश के बाद बहुत सिल्ट जम जाती है तो ये लोग अपने हाथ से निकालते हैं। जैसे एक युवा ने शुरू किया था कि वह बॉम्बे के बीच को खुद साफ करेगा। ये लोग अपने हाथों से सेवा सेवा करते हैं।  
हम इंदौर वालों को कमर कसकर अपने दोनों वेटलैंड पर जोरदार सेवा करनी होगी। जैसा जोश अयोध्या  के प्रति, श्रध्दा, निष्ठा सद्भावना दुनिया ने देखी वैसा  आज हमें इस बात की जरूरत है कि हम हमारे ये दो वैट लैंड को अपनी अपना समय, तन, मन और धन जो भी लगा सकते हैं , इसको बचाने के लिए और समझे कि कैसे बचाना है। ताकि ये सस्टेनेबल बन सके। आने वाली पीढ़ियों के लिए वरदान बना रहे। देश और शहर में होता हुआ सीमेंटी करन, पेड़ों की कटाई और भूजल का बहुत नीचे चले जाना अगर हम ये दो वैटलेंड नहीं बचाएंगे तो हम बहुत बड़े आपात काल में चले जाएंगे।
 
हमें यह नहीं सोचना कि दो तरीक को होने वाले, परसों  के वेटलैंड कार्यक्रम  की तैयारी करना है इस कार्यशाला का उदेयश है। उस वेटलैंड डे में बहुत दूर-दूर से लोग आने वाले हैं देश-विदेश से उनके सामने हम क्या रखेंगे। परसों की  तैयारी की बात हो रही है, लेकिन मैं कहती हूं परसों की तो हो रही है  है लेकिन आने वाले बरसों के लिए हमें खड़े होना है। हमें अपने हाथ पैर हिलाने है, अपना तन मन इसमें लगाना है। अपने  सिरपुर और यश्वन्त सागर वेटलैंड  केवल मनोरंजन का साधन न बने,हम लोग जाकर उस उसमें सहयोग करें जाकर अपनी वॉलंटरी सेवा दें। 
 
वहां  माता-पिता अपने बच्चों को ले जाएं और बच्चे इतने जानकार हो जाए कि बच्चे अपने लोगों को अपने मित्रों को बताएं कि मैं जाकर आया हूं वहां बहुत अच्छे पक्षी है, बहुत अच्छी तितलियां है, बहुत अच्छा पानी है, बहुत सुंदर है,और वहां चलकर बहुत अच्छा लगता है। लोगों को ऐसी ट्रेनिंग भी दी जानी चाहिए। अभी ज़यादातर लोगों को पता नहीं सिरपुर लेक क्या है, उन्हें इसका उत्साह नहीं है। जब हम इसे ऐसी बना देंगे लोग खुद आने लगेंगे।
 
मैं अपने स्वयं के अनुभव से  बताती हूं कि मैं इंदौर बरेली संस्थान में 26 साल सेवा देने के बाद, मैंने और मेरे पति ने गांव सनावदिया में सस्टेनेबल घर बनाया और सस्टेनेबल जीवन ऐसा जीना शुरू किया। अपने खाने के लिए खुद जैविक उगाना, अपनी सोलर और विंड पॉवर से उसी से गुजारा करते हैं। 50 आदिवासी परिवारों को भी निशुल्क देते है, घर में कचरा दान नहीं है और यह जगह अब सस्टेनेबल लिविंग का उदाहरण बन गई है।

मैं किसी से फंड नहीं लेती हूं, मेरे कोई प्रोजेक्ट नहीं है, मैं किसी को निमंत्रण भी नहीं देती हूं, प्रचार प्रसार नहीं करती हूं, लेकिन इसको देखने के लिए, इसको समझने के लिए 13 साल में  एक लाख 74 हजार लोग जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट आए हैं, जो कि मेरे स्वर्गीय पति जिम्मी मगिलिगन को समर्पित है। 
 
उन्होंने ब्रिटिन छोड़कर भारत में 25 साल सेवा दी और अपने हाथ से काम किया प्रकृति को बचाया संसाधनों को बचाया। यदि मेरी अकेली के पास देखने को समझने को आ सकते हैं और उन बच्चों लोगों ने इंदौर को स्वछ्तं बनाने में अगर मैंने स्टील का ग्लास हाथ में रखा, कपड़े की थैली साथ में रखी और स्टील की बोतल साथ में रखे, बिना प्लास्टिक के मैं जी रही हूं।

बिना उपकरण के जी रही हूं, बिजली के तो सब जी सकते हैं। मैं जितने साल की होती होते पेड़ लगाते हूं। हम सबको अगर अपने जीवन शैली को ऐसा बनाएं कि हम अपने इन वेटलैंड को बचाएं तो उसके लिए सभी लोगों को हमें जोड़ना पड़ेगा। 
 
मैं आवाहन करती हूं उद्योगपती, हर विषय के शिक्षक और छात्र, चाहे वो बॉटनी पढ़ रहे हैं, जियोलॉजी पढ़ रहे हैं, जूलॉजी पढ़ रहे हैं, सोशल एंथ्रोपोलॉजी पढ़ रहे हैं, चाहे वह टूरिज्म की हेरिटेज वॉक कला, पेंटिंग, संगीत, नृर्त्य, नाटक वाले, जो लोग इतिहास पढ़े हुए हैं, वो इसका इतिहास लिखें कि आईएम जैसे इंस्टीट्यूशन जाए आईआईटी जैसे लोग हैं बहुत सारे कॉलेज हैं, स्कूल है और बहुत सारी  लड़कियां महिलाएं और ऐसे लोग हैं जो रिसर्च करते हैं, ऐसे लोग जो आईटी में हैं, और  में उनको कुछ असाइनमेंट मिलते हैं। इसमें योगदान दें, डॉक्यूमेंटेशन करें। इसके इलावा वकील और जज वहां जाएं, कोई उस कानून को तोड़े तो वो उसके वालंटियर बन जाएं, उसके संरक्षक बन जाएं। 
 
मैं वादा करती हूं कि एक इंदौर का सबसे बड़ा सोशल मीडिया ग्रुप 'इंदौर वाले' ना राजनेतिक है ना साम्रदायिक है, केवल समाज हित एक दूसरे के साथ सद्भावना और एक दूसरे को सहयोग करें। शहर और इसके आसपास प्रकृति को बचाने का, लोगों को स्वास्थ बचाने का काम करते हैं। जिसके फाउंडर हैं समीर शर्मा , इंदौर वाले ग्रुप में लोग पूछते हैं इंदौर के आसपास घूमने, देखने दिखाने के स्थान, तो सिरपुर और यशवंत सागर का पता दो लाख लोगों को एक क्लिक पर पता चलेगा। 
 
केवल सकारात्मक कामों के लिए और सेवा के लिए, सहयोग के लिए अपनी पोस्ट डालें जिससे इसका प्रचार होने लगेगा, पूरी दुनिया को पता चलेगा, सोशल मीडिया पर लोग जाएं। वहां जाकर काम करें, जैसे कोई मिट्टी निकाल रहा है, कोई कचरा वहां से निकाल रहा है, प्लास्टिक किसी ने फेंक दिया तो उठा रहे हैं , ऐसे फोटो डालें। हम अपने वेटलैंड को बचाने के हर उम्र वर्ग के लोगों को रक्षक बनना चाहते हैं। 
 
चप्पन और सराफा के लिए लोगों को खाने के लिए ले जाना, इंदौर की शान है। लेकिन इंदौर की आबोहवा और इंदौर की प्राण बचाने के लिए हमारे पास ये वैटलेंड है जो प्रकृतिक है। इनसे हमें ज्यादा से ज्यादा  जुड़ना चाहिए, अपने रिश्तेदारों को दिखाने के लिए लेकर जाएं और जाकर सेवा कार्य करें। यह काम उतना ही पवित्र है जितना  अपने किसी भी धार्मिक स्थल पर जाकर पूजा अर्चना करना। 
 
सिरपुर यश्वनत सागर वेटलैंड के हम मित्र बनें, संरक्षक बनें बचाएं मेरा यह सुझाव है। मैं अपना समय इसमें जितना भी दे सकती हूं लोगों को जरूर प्रोत्साहित करूंगी और अपनी फेसबुक पर अपने ट्विटर पर लोगों को कहा करूंगी कि जाइए वेटलैंड देखिए, वेटलैंड पर जाकर सीखकर आइए, कुछ सेवा करके आइए।
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