ग्वालियर में एक साधारण अध्यापक के घर 25 दिसंबर 1925 को ब्रह्म मुहूर्त में अटलजी का जन्म हुआ। अटलजी के पिता का नाम पं. कृष्ण बिहारी और माताजी का नाम श्रीमती कृष्णा देवी था। उनके 4 पुत्र अवध बिहारी, सदा बिहारी, प्रेम बिहारी, अटल बिहारी तथा 3 पुत्रियां विमला, कमला, उर्मिला हुईं। उनका परिवार भरा-पूरा था। श्रीमद्भगवतगीता और रामायण इस परिवार की मणियां थीं। अटलजी की बचपन से ही अध्ययन के प्रति प्रगाढ़ रुचि रही।
अटलजी के पिता पं. कृष्ण बिहारी अध्यापन के साथ-साथ काव्य रचना भी करते थे। उनकी कविताओं में राष्ट्रप्रेम के स्वर भरे रहते थे। परिवार का विशुद्ध भारतीय वातावरण अटलजी की रग-रग में बचपन से ही रचने-बसने लगा। उनका परिवार 'संघ' के प्रति विशेष निष्ठावान था। परिणामत: अटलजी का झुकाव भी उसी ओर हुआ और वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बन गए। अटलजी ने राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और दैनिक स्वदेश का संपादन भी किया।
अटलजी की बीए तक की शिक्षा ग्वालियर में ही हुई। वहां के विक्टोरिया कॉलेज (आज लक्ष्मीबाई कॉलेज) से उन्होंने उच्च श्रेणी में बीए उत्तीर्ण किया। वे विक्टोरिया कॉलेज के छात्र संघ के मंत्री और उपाध्यक्ष भी रहे। वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में वे सदैव भाग लेते थे। ग्वालियर से आप उत्तरप्रदेश की व्यावसायिक नगरी कानपुर के प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र डीएवी कॉलेज आए। राजनीति शास्त्र से प्रथम श्रेणी में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की। अटलजी और उनके पिता दोनों ने कानून की पढ़ाई में एकसाथ प्रवेश लिया। एलएलबी की पढ़ाई को बीच में ही विराम देकर वे संघ के काम में लग गए।
उनके व्याख्यानों की प्रशंसा संसद में उनके विरोधी भी करते थे। अटलबिहारी वाजपेयी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बने। अपनी प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता के कारण वे 4 दशकों से भी अधिक समय से भारतीय संसद के सांसद बने रहे।