* छल-कपट करना, मूर्खतापूर्ण कार्य करना, झूठ बोलना, उतावलापन दिखाना, दुस्साहस करना, लोभ करना, अपवित्रता और निर्दयता, यह सभी स्त्रियों के स्वाभाविक दोष हैं। चाणक्य उपर्युक्त दोषों को स्त्रियों का स्वाभाविक गुण मानते हैं। हालांकि वर्तमान दौर की शिक्षित स्त्रियों में इन दोषों का होना सही नहीं कहा जा सकता है।