चन्द्रशेखर बचपन से ही महात्मा गांधी से प्रभावित थे। वे बचपन से स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने लगे थे। गांधीजी के 'असहयोग आंदोलन' के दौरान उन्होंने विदेशी सामानों का बहिष्कार किया। इसी असहयोग आंदोलन के दौरान उन्हें पहली बार 15 वर्ष की आयु आंदोलनकारी के रूप में पकड़ लिया गया और जब मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत किया गया और नाम पूछा गया तो उन्होंने कहा 'आजाद'।
चन्द्रशेखर हर कोड़े की मार पर 'भारतमाता की जय!', 'वंदेमातरम्', 'महात्मा गांधी की जय' का उद्घोष करते रहे। बस तभी से उनका नाम चन्द्रशेखर 'आजाद' पड़ गया।