दादाभाई नौरोजी जयंती : जानिए 10 बातें

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दादाभाई नौरोजी भारतीय इतिहास में एक परिचित व्यक्तित्व है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखने वाले दादाभाई नौरोजी ने एक भारतीय होने के बावजूद ब्रिटिशों के देश में जाकर अपना एक अलग स्थान बनाया।

आइए जानते हैं उनके बारे में 10 खास बातें...
 
 
1. दादाभाई नौरोजी का जन्म एक गरीब पारसी परिवार में मुंबई (बम्बई) में 4 सितंबर 1825 को हुआ था। 
 
2. उनके पिता का नाम नौरोजी पलांजी डोरडी तथा मां का नाम मनेखबाई था। जब वे केवल चार वर्ष के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया और उनका लालन-पालन माता मनेखबाई ने किया। 
 
3. मनेखबाई अनपढ़ थी, इसके बावजूद भी उन्होंने दादाभाई की पढ़ाई का विशेष ध्यान रखा और बम्बई के एल्फिंस्टोन इंस्टिट्यूट से पढ़ाई पूरी करने के बाद मात्र 27 वर्ष की उम्र में वे गणित, भौतिक शास्त्र के प्राध्यापक बने और अपनी माता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। उन्हें एल्फिंस्टोन इंस्टिट्यूट कॉलेज में अध्यापक के तौर पर नियुक्त किया गया। वह पहले ऐसे भारतीय बने जिन्हें ब्रिटेन में महत्वपूर्ण अकादमिक पद प्रदान किया गया था।
 
 
4. दादाभाई नौरोजी कपास के व्यवसायी और प्रतिष्ठित निर्यातक भी थे। मात्र 11 वर्ष की उम्र में दादाभाई नौरोजी का विवाह गुलबाई से हो गया था।
 
5. दादाभाई नौरोजी सन् 1885 में बम्बई विधान परिषद के सदस्य बने। सन् 1886 में फिन्सबरी क्षेत्र से पार्लियामेंट के लिए निर्वाचित हुए। 
 
6.  दादाभाई नौरोजी लंदन के विश्वविद्यालय में गुजराती के प्रोफेसर भी बने और सन् 1869 में भारत वापस आए। 
 
7. दादाभाई नौरोजी को सम्मानपूर्वक ‘ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया’ कहा जाता था। वह ऐसे पहले एशियाई व्यक्ति भी थे जिन्हें ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन में सांसद चुना गया था। 
 
8. सन् 1851 में दादाभाई नौरोजी ने गुजराती भाषा में 'रस्त गफ्तार' नामक साप्ताहिक शुरू किया था। 
 
9. सन् 1886 व सन् 1906 में वे इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए। दादाभाई नौरोजी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दादाभाई 71 वर्ष की आयु में तीसरी बार कांग्रेस के अध्यक्ष बने। सबसे पहले देश को 'स्वराज्य' का नारा उन्होंने ही दिया। 
 
10. दादाभाई नौरोजी का 92 वर्ष की उम्र में 30 जून, 1917 ब्रिटिश अधीन वर्सोवा में निधन को हुआ। 
 
- आरके. 

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