- स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा।
के प्रणेता बाल गंगाधर तिलक का यह कथन आज भी सारे देश में ख्यात है। भारतीय स्वतंत्रता सेनानी में खास रहे तिलक की आज 1 अगस्त को पुण्यतिथि है। आइए जानते हैं उनके बारे में-
Bal Gangadhar Tilak : बाल गंगाधर तिलक का नाम भारत के स्वतंत्रता सेनानियों में बड़े ही सम्मान से लिया जाता है। वे हिन्दुस्तान के एक प्रमुख नेता, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने हमारे देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उनका जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरि के चिक्कन गांव में 23 जुलाई 1856 को जन्म हुआ था। पिता गंगाधर रामचंद्र तिलक एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण थे। अपने परिश्रम के बल पर शाला के मेधावी छात्रों में बाल गंगाधर तिलक की गिनती होती थी। वे पढ़ने के साथ-साथ प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम भी करते थे, अतः उनका शरीर स्वस्थ और पुष्ट था।
सन् 1879 में उन्होंने बीए तथा कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की। घर वाले और उनके मित्र-संबंधी यह आशा कर रहे थे कि तिलक वकालत कर धन कमाएंगे और वंश के गौरव को बढ़ाएंगे, परंतु तिलक ने प्रारंभ से ही जनता की सेवा का व्रत धारण कर लिया था। परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने अपनी सेवाएं पूर्ण रूप से एक शिक्षण संस्था के निर्माण को दे दीं।
सन् 1880 में न्यू इंग्लिश स्कूल और कुछ साल बाद फर्ग्युसन कॉलेज की स्थापना की। उन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई। लोकमान्य तिलक ने जनजागृति का कार्यक्रम पूरा करने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव सप्ताह भर मनाना प्रारंभ किया। इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंग्रेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया।
तिलक के क्रांतिकारी कदमों से अंग्रेज बौखला गए और उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाकर 6 साल के लिए 'देश निकाला' का दंड दिया और बर्मा की मांडले जेल भेज दिया गया। इस अवधि में तिलक ने गीता का अध्ययन किया और 'गीता रहस्य' नामक भाष्य भी लिखा।
तिलक के जेल से छूटने के बाद जब उनका 'गीता रहस्य' प्रकाशित हुआ तो उसका प्रचार-प्रसार आंधी-तूफान की तरह बढ़ा और जनमानस उससे अत्यधिक आंदोलित हुआ।
तिलक ने मराठी में 'मराठा दर्पण' व 'केसरी' नाम से दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किए, जो जनता में काफी लोकप्रिय हुए। जिसमें तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीनभावना की बहुत आलोचना की।
सच्चे जननायक बाल गंगाधर तिलक को लोगों ने आदर से 'लोकमान्य' की पदवी दी थी। ऐसे लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक का निधन 1 अगस्त 1920 को मुंबई में हुआ। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता होने का श्रेय लोकमान्य तिलक को दिया जाता है।