मंगल पांडे का नाम भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अग्रणी योद्धाओं के रूप में लिया जाता है, उनके द्वारा भड़काई गई क्रांति की ज्वाला ने ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन बुरी तरह से हिला दिया था। ईस्ट इंडिया कंपनी, जोकि भारत में व्यापारियों के रूप में आई थी, उसने जब भारत को अपने अधीन कर लिया तो लंदन में बैठे उनके आकाओं ने शायद यह उम्मीद भी नहीं की होगी कि एक दिन मंगल पांडेय रूपी कोई तूफान ऐसी खलबली मचा देगा, जो इतिहास में भारत की आजादी की पहली लड़ाई कही जाएगी। सन् 1849 में मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हुए और बैरकपुर की सैनिक छावनी में बंगाल नेटिव इन्फैंट्री यानी बीएनआई की 34वीं रेजीमेंट के पैदल सेना के सिपाही रहे।