आंखें निकालीं, जीभ काटी, शरीर से चमड़ी उधेड़े जाने पर भी नहीं कुबूला इस्लाम, जानिए संभाजी की शूरता और बलिदान की महागाथा
Why aurangzeb killed sambhaji maharaj: छत्रपति संभाजी महाराज, मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के पुत्र थे। वे एक महान योद्धा, कुशल प्रशासक और धर्म के प्रति समर्पित थे। उन्होंने अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए अथक प्रयास किए और मराठा साम्राज्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। मात्र 32 साल की उम्र में मुगल बादशाह औरंगजेब ने उनकी निर्ममता से हत्या करवा दी थी लेकिन वो भी उनकी वीरता और बहाद्दुरी का मुरीद हो गया था। आइए जानते हैं संभाजी की वीरता के किस्से।
फलों की टोकरी में छिप कर दिया मुगलों को चकमा
पुरंदर की संधि के बाद शिवाजी जब औरंगजेब से मिलने के लिए आगरा दरबार में आए तो औरंगजेब ने उन्हें छल से संभाजी के साथ किले में कैद करवा दिया। तब शिवाजी ने बीमारी का बहाना कर वहां रहना शुरू किया। एक दिन वे संभाजी के साथ फल–मिठाई की टोकरी में बैठकर आगरा के किले से भाग निकलने में कामयाब हो गए। शिवाजी और संभाजी के भागने से औरंगजेब बहुत परेशान हो गया था।
बलिदान और शहादत
औरंगजेब ने संभाजी महाराज को बंदी बनाने के लिए छल का सहारा लिया। उन्हें मुगलों ने गिरफ्तार कर लिया गया औरंगजेब के सामने पेश किया गया। औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए कहा, लेकिन संभाजी महाराज ने इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें बहुत यातनाएं दी गईं। उनकी आंखें निकाल ली गईं, जीभ काट दी गई, और अंत में उन्हें बेरहमी से मार डाला गया।
छत्रपति संभाजी महाराज का बलिदान मराठा साम्राज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। उनकी मृत्यु के बाद भी मराठों ने मुगलों के खिलाफ अपना संघर्ष जारी रखा और अंततः उन्हें हराने में सफल रहे। संभाजी महाराज की वीरता और बलिदान की कहानी आज भी लोगों को प्रेरणा देती है।
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