भारत के वीर सपूतों में से एक श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य किए थे। छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म सन् 19 फरवरी 1630 में मराठा परिवार में हुआ। कुछ लोग 1627 में उनका जन्म बताते हैं। उनका पूरा नाम शिवाजी भोंसले था। लंबी बीमारी के चलते 1680 में वीर छत्रपति शिवाजी ने दम तोड़ दिया और उनके साम्राज्य को उनके बेटे संभाजी ने संभाल लिया। आओ जानते हैं उनके 6 उल्लेखनीय कार्य।
1. शिवाजी ने मुगलों के आतंक से भारत के एक बड़े क्षेत्र को मुक्त कराया था:-
शिवाजी महाराज ने कई लड़ाइयां लड़ते हुए अपने कई किलों को आजाद कराया और देश के एक बड़े भूभाग को मुगलों के आतंक से मुक्ति दिलाई थी। शिवाजी महाराज की पूर्वी सीमा उत्तर में बागलना को छूती थी और फिर दक्षिण की ओर नासिक एवं पूना जिलों के बीच से होती हुई एक अनिश्चित सीमा रेखा के साथ समस्त सतारा और कोल्हापुर के जिले के अधिकांश भाग को अपने में समेट लेती थी। पश्चिमी कर्नाटक के क्षेत्र बाद में सम्मिलित हुए। हिंदू स्वराज का यह क्षेत्र तीन मुख्य भागों में विभाजित था:-ALSO READ: छत्रपति शिवाजी महाराज के पराक्रम और गौरवशाली इतिहास का दर्शन कराते हैं महाराष्ट्र के ये किले, परिवार के साथ जाएं घूमने
पूना से लेकर सल्हर तक का क्षेत्र कोंकण का क्षेत्र, जिसमें उत्तरी कोंकण भी सम्मिलित था, पेशवा मोरोपंत पिंगले के नियंत्रण में था।
उत्तरी कनारा तक दक्षिणी कोंकण का क्षेत्र अन्नाजी दत्तों के अधीन था।
दक्षिणी देश के जिले, जिनमें सतारा से लेकर धारवाड़ और कोफाल का क्षेत्र था, दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र के अंतर्गत आते थे और दत्ता जी पंत के नियंत्रण में थे। इन तीन सूबों को पुनः परगनों और तालुकों में विभाजित किया गया था। परगनों के अंतर्गत तरफ और मौजे आते थे।
राष्ट्र को विदेशी और आतताई राज्य-सत्ता से स्वाधीन करा सारे भारत में एक सार्वभौम स्वतंत्र शासन स्थापित करने का एक प्रयत्न स्वतंत्रता के अनन्य पुजारी वीर प्रवर शिवाजी महाराज ने किया था। इसी प्रकार उन्हें एक अग्रगण्य वीर एवं अमर स्वतंत्रता-सेनानी स्वीकार किया जाता है। महाराणा प्रताप की तरह वीर शिवाजी राष्ट्रीयता के जीवंत प्रतीक एवं परिचायक थे।
2. गुरिल्ला युद्ध के अविष्कारक:- कहते हैं कि छत्रपति शिवाजी ने ही भारत में पहली बार गुरिल्ला युद्ध का आरम्भ किया था। उनकी इस युद्ध नीति से प्रेरित होकर ही वियतनामियों ने अमेरिका से जंगल जीत ली थी। इस युद्ध का उल्लेख उस काल में रचित 'शिव सूत्र' में मिलता है। गोरिल्ला युद्ध एक प्रकार का छापामार युद्ध। मोटे तौर पर छापामार युद्ध अर्धसैनिकों की टुकड़ियों अथवा अनियमित सैनिकों द्वारा शत्रु सेना के पीछे या पार्श्व में आक्रमण करके लड़े जाते हैं।
3. हिंदू एकजुटता और अखाड़ों का निर्माण:-छत्रपति शिवाजी महाराज अपने गुरु से प्रेरणा लेकर ही कोई कार्य करते थे। छत्रपति महाराज शिवाजी को 'महान शिवाजी' बनाने में समर्थ रामदास जी का बहुत बड़ा योगदान रहा। शिवाजी के एकछत्र शासन के चलते ही समर्थ रामदास जी ने देशभर में हिंदू एकजुटता के साथ ही सम्पूर्ण भारत में कश्मीर से कन्याकुमारी तक उन्होंने 1100 मठ तथा अखाड़े स्थापित कर स्वराज्य स्थापना के लिए जनता को तैयार करने का प्रयत्न किया। उन्हें अखाड़ों की स्थापना का श्रेय जाता है। उन्होंने 'दासबोध' नामक एक ग्रन्थ की रचना भी की थी, जो मराठी भाषा में है। 'हिन्दू पद पादशाही' के संस्थापक शिवाजी के गुरु रामदास जी का नाम भारत के साधु-संतों व विद्वत समाज में सुविख्यात है।
4. दुर्गों की रक्षा और मरम्मत का कार्य:- मराठा सैन्य व्यवस्था के विशिष्ट लक्षण थे किले। विवरण कारों के अनुसार शिवाजी के पास 250 किले थे। जिनकी मरम्मत पर वे बड़ी रकम खर्च करते थे। शिवाजी ने कई दुर्गों पर अधिकार किया जिनमें से एक था सिंहगढ़ दुर्ग, जिसे जीतने के लिए उन्होंने तानाजी को भेजा था। इस दुर्ग को जीतने के दौरान तानाजी ने वीरगति पाई थी।- गढ़ आला पण सिंह गेला (गढ़ तो हमने जीत लिया पर सिंह हमें छोड़ कर चला गया)। बीजापुर के सुल्तान की राज्य सीमाओं के अंतर्गत रायगढ़ (1646) में चाकन, सिंहगढ़ और पुरन्दर सरीखे दुर्ग भी शीघ्र उनके अधिकारों में आ गए थे।
5. सामाजिक कार्य: छत्रपति शिवाजी महाराज ने सामाजिक न्याय, धार्मिक सहिष्णुता, और समावेशिता के लिए काम किया। उन्होंने समाज में जातिवाद को कम करने और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ाने का भरपूर प्रयास किया। उन्होंने समाज में एकता की भावना को बढ़ाने, महिलाओं के समाज में भागीदारी को बढ़ाने, गरीबों, वंचितों और महिलाओं के कल्याण के लिए काम किया। उन्होंने सामुदायिक संवाद के लिए मंच स्थापित किए। उन्होंने शासन में लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सड़कों, किलो और जल संसाधनों के विकास के लिए परियोजनाएं शुरू की।
6. भारतीय नौसेना का जनक: छत्रपति शिवाजी महाराज को भारतीय नौसेना का जनक माना जाता है। उन्होंने समुद्र में हमलों से बचने के लिए नौसेना का निर्माण किया था। कहते हैं कि शिवाजी महाराज ने 20 युद्धपोत बनवाए थे। उनके पास कुल 500 जहाज थे। शिवाजी महाराज की नौसेना ने दुश्मनों पर घात लगाने जैसी रणनीति अपनाई थी। शिवाजी महाराज ने अपने बेड़े को चार प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया था। गुराब, गालबात (गलबात), टारगोट (टारगु) और पाल (पालखी)। वर्तमान में शिवाजी महाराज के प्रतीक चिह्न भारतीय नौसेना के ध्वज में भी शामिल है।