इनसान हमेशा से पृथ्वी पर अपने अस्तित्व को बचाने के लिए प्रयासरत रहा है। विश्व के सभी प्रमुख धार्मिक ग्रंथों व धर्मों में प्रलय (विनाश) की अवधारणा तथा मनुष्य द्वारा उस विपत्ति से पार पाने का वर्णन मिलता है। चाहे नूह की कहानी हो या मनु की कहानी, सबमें एक बात समान मिलती है। प्रलय के पहले ही इस पृथ्वी के समस्त प्राणियों तथा सब प्रकार के वनस्पति बीजों को संरक्षित किया गया जिससे इस पृथ्वी पर पुन: सृष्टि की स्थापना हुई।
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