100 मनुष्यों और एक गोरिल्ला की लड़ाई में कौन जीतेगा, इंटरनेट पर क्यों ढूंढ रहे हैं लोग इस सवाल का जवाब?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शुक्रवार, 2 मई 2025 (08:45 IST)
Gorilla and human fight: अगर 100 औसत मनुष्यों और एक वयस्क नर गोरिल्ला में लड़ाई होती है तो कौन विजेता होगा? इंटरनेट पर इस सवाल का जवाब जानने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है। इस अजीबो गरीब सवाल का जवाब जानने के लिए हजारों लोग रेडिट, टिकटॉक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम स्क्रॉल कर रहे हैं। कुछ लोगों की दलील है कि इंसानों ने किसी जमाने में विशाल मैमथ का शिकार किया था, तो वे जीत जाएंगे। वहीं, कुछ का मानना है कि सिल्वरबैक गोरिल्ला 1000 किलोग्राम तक वजन उठा सकता है और एक इंसान को तो बहुत आसानी से उठा कर फेंक सकता है।
 
मजेदार बात तो यह है कि ये एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब देने की जरूरत ही नहीं है लेकिन फिर भी इंटरनेट पर हर कोई अपने विचार रख सकता है। मजाक और अंदाजे से परे इंटरनेट पर जोर पकड़ रही यह बहस हमें मनुष्यों में आए बदलावों पर रोशनी डालने का अवसर देती है। हमारी प्रजाति की असली ताकत क्या है? हमने कौन-कौन सी कुर्बानियां दी हैं? हालांकि इंटरनेट पर छिड़ी यह बहस हमें इंसानों और गोरिल्ला की ताकत, कमजोरी और विकास के बारे में सोचने का मौका देती है।
 
गोरिल्ला और मनुष्य एक पेड़ की दो शाखाएं : गोरिल्ला, मनुष्यों के सबसे करीबी जीवी संबंधियों में से एक हैं। चिंपैंजी, बोनोबो और ओरांगुटान के साथ गोरिल्ला भी ‘होमिनिडे’ परिवार का हिस्सा हैं। चिंपैंजी का डीएनए मनुष्यों से 98.8 प्रतिशत तक मिलता है, जबकि गोरिल्ला में यह सीमा 98.4 फीसदी है।
 
मनुष्यों और गोरिल्ला के बीच आखिरी कड़ी करीब एक करोड़ वर्ष पहले जुड़ी हुई थी। लेकिन इसके बाद दोनों प्रजातियों ने अलग-अलग रास्ते चुन लिए। गोरिल्ला घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों में रहने के लिए विकसित हुए जबकि इंसान खुले मैदानों और कई तरह के माहौल में रहने लगे। फिर भी दोनों में कई समानताएं हैं, जैसे अंगूठे का इस्तेमाल, चेहरे के भाव, जटिल सामाजिक व्यवहार और भावनात्मक समझ।
 
जंगह में बादशाहत रखने वाला गोरिल्ला : गोरिल्ला में पूरे जंगल पर काबू रखने की शक्ति होती है, जो उसकी बादशाहत कहलाती है। जहां तक बात ताकत की है तो उसमें गोरिल्ला का कोई सानी नहीं है। एक वयस्क नर ‘सिल्वरबैक’ गोरिल्ला 160 किलो से ज्यादा वजन का होता है और एक टन तक वजन उठा सकता है।
 
‘सिल्वरबैक’ गोरिल्ला के ऊपरी शरीर की ताकत चौंकानी वाली होती है और इस ताकत के पीछे कहीं न कहीं नर गोरिल्ला के बीच होने वाले द्वंद हैं, जहां ताकतवर नर ही मादा के साथ जोड़ी बनाता है। गोरिल्ला बहुत मजबूत और सहनशील होते हैं, लेकिन ज्यादातर समय शांत रहते हैं। गोरिल्ला बुद्धिमान होने के साथ-साथ अलग-अलग आवाजों, इशारे और छाती पीटकर दूर तक संवाद करने में माहिर होते हैं। उन्होंने सांकेतिक भाषा सीखने की क्षमता को भी दर्शाया है, वह अपने मृतकों के लिए शोक मना सकते हैं और दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखा सकते हैं, जो उनकी बुद्धिमत्ता को दर्शाता है।
 
दिमाग से जीती जा सकती है जंग : अगर 100 पुरुषों और एक गोरिल्ला की लड़ाई होती है तो शायद कई इंसान मारे जाएं, लेकिन हम सब जानते हैं कि पुरुष हथियारों, रणनीति, ड्रोन, आग और चालाकी का इस्तेमाल करेंगे। इंसान शारीरिक रूप से गोरिल्ला जितने ताकतवर नहीं हैं, लेकिन हमारी असल ताकत हमारी अनुकूलन क्षमता और बड़े समूहों में एक साथ काम करने की योग्यता है। मनुष्यों का दिमाग गोरिल्ला के दिमाग से औसतन तीन गुना बड़ा होता है। इसी वजह से हमारी सोचने की ताकत, प्रतीकात्मक भाषा और पीढ़ियों तक ज्ञान को विस्तार देने की क्षमता हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
 
गोरिल्ला के समूह में परिवार के सदस्य या आमतौर पर ज्यादा से ज्यादा 30 अन्य गोरिल्ला होते हैं। वहीं मनुष्य अनगिनत लोगों के साथ मिलकर सामाजिक, सांस्कृतिक और तकनीकी जटिलता से पार पाते हैं, जो हमें धरती की सबसे बहुमुखी और खतरनाक प्रजाति बनाती है।
 
आखिर कौन होगा विजेता? : आमने-सामने की लड़ाई में गोरिल्ला, मनुष्यों की हालत पतली कर सकता है और इसमें कोई दो राय नहीं है। मनुष्य चालाकी और समझदारी से लड़ते हैं। विकासवादी सफलता को देखते हुए, मनुष्य संभवतः कई लड़ाइयां हार सकता है, लेकिन अंततः उसे जीत जरूर मिलेगी। मनुष्यों में हर महाद्वीप, हर तरह के इलाके और जलवायु में बसने की क्षमता है। मनुष्यों में पारिस्थितिक तंत्र बदलने, चांद पर कदम रखने और उन्नत तकनीक विकसित करने की क्षमता है और इसमें सफलता भी हासिल की है।
 
वहीं, गोरिल्ला ने पर्यावरण के साथ सामंजस्य, शारीरिक ताकत और शांत प्रवृति बनाए रखने में अलग तरह की सफलता हासिल की है। इस पूरी कहानी से यह निष्कर्ष नहीं निकलता कि कौन जीतेगा? जानने वाली बात ये है कि इंसान और गोरिल्ला, जो किसी जमाने में एक-दूसरे के करीबी रहे थे, दोनों ने विकास के दो अलग-अलग रास्ते चुने। दोनों ही अपने-अपने तरीके से प्रकृति की शानदार रचना हैं और दोनों ही अपने आप में विजेता हैं। (द कन्वरसेशन) 
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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