पैदा होने के साथ ब्लैक एंड व्हाइट थी नील की जिंदगी, लेकिन फिर किया एक एंटीना का अविष्कार रेयर कलर ब्लाइंडनेस ने बेरंग कर दी थी नील की दुनिया, लेकिन तकनीन ने बदल दी उनकी जिंदगी
रंग किसी भी इंसान के लिए बेहद जरूरी है। अगर किसी की जिंदगी में खूबसूरत रंग नहीं होंगे तो दुनिया उसके लिए कितनी नीरस और बेरंग होगी।
लेकिन अगर यह कहें कि दुनिया में एक ऐसा भी आदमी है, जिसने कभी कोई रंग देखा ही नहीं, उसकी दुनिया बेरंग और ब्लैक एंड व्हाइट ही है तो आप इसे क्या कहेंगे।
नील हार्मिसन एक ऐसा ही इंसान था। 27 जुलाई 1984 को लंदन, इंग्लैंड में नील का जन्म हुआ था। दुनिया में पैदा होने वाले किसी भी आम बच्चे की तरह नील का भी जन्म हुआ, लेकिन सिर्फ एक ही फर्क ने उन्हें सारी दुनिया के बच्चों से अलग कर दिया। यह फर्क था।
दरअसल, जहां बाकी बच्चे बचपन से ही रंगों को देख और पहचान सकते थे, वहीं नील की जिंदगी पूरी तरह से ब्लैक एंड व्हाइट थी। उन्हें कोई रंग नजर ही नहीं आता था। कोई ऐसा रंग नहीं था जिसे नील देख सकते थे।
जब उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया तो पता चला कि नील एक रेयर कलर ब्लाइंडनेस बीमारी से ग्रस्त हैं। उन्हें रंगों के नाम पर सिर्फ काला और सफ़ेद ही दिखाई देता था।
कुछ दिनों बाद नील को लेकर उनका परिवार स्पेन चला गया। जहां उन्होंने संगीत और चित्रकला सीखी। नील अपने पेंटिंग स्कूल में अकेले ऐसे व्यक्ति थे, जिसे सिर्फ काले और सफ़ेद रंग से पेंटिंग बनाने की इजाजत थी।
नील अपनी इस बीमारी को दूर करना चाहते थे, लेकिन जिस भी डॉक्टर के पास वे गए उन्हें कहा गया कि सर्जरी के बाद भी उनकी यह बीमारी ठीक नहीं हो सकती।
इसके बाद उन्होंने तकनीक की मदद लेनी चाही, अपने इलाज के लिए उन्होंने साइबरनेटिक्स एक्सपर्ट एडम से मुलाक़ात की। उन्होंने एडम से एक ऐसा यंत्र बनाने की बात कही, जिससे वह रंग को देख नहीं पाए मगर उसे महसूस जरूर कर पाए। एडम इस अद्भुत आइडिया पर काम करने के लिए तैयार हो गए।
नील के लिए ऐसा यंत्र तैयार करने की बात हुई जो एंटीना की तरह उनके सिर पर लगाया जा सके। 2004 में कड़ी मेहनत के बाद नील और एडम ने वो यंत्र बना लिया। इसके बाद बस उसे नील के सिर में फिट किया जाना था।
नील के सिर के पीछे वाले हिस्से में यह एंटीना लगना था, एक सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने नील के सिर में वह यंत्र लगा था। एंटीना लगाने के बाद उन्हें बेहद परेशानियां झेलना पडी। उन्हें हर वक्त सिर में दर्द होता था। धीरे-धीरे यंत्र उनके सिर की हड्डी से जुड़ गया। कुछ दिनों बाद यंत्र काम करने लगा।
अपने सिर पर एंटीना लगाने के बाद से नील की जिंदगी पहले से आसान हो गई। उनका यह यंत्र से उन्हें रंग तो नजर नहीं आते थे, लेकिन वे रंगों को सुन जरूर सकते हैं। अपने एंटीना में लगे सेंसर की मदद से वे रंगों को सुनने लगे।
दरसल एंटीना जब भी किसी रंग को देखता है, तो उसके बारे में नील को बताने के लिए ख़ास तरह की आवाज निकालता है।
जब नील उस आवाज को सुनते हैं, तो वह समझ जाते हैं कि वह कौनसा रंग है। इसी तरह वह मशहूर पेंटर की पेंटिंग्स को देखते हैं और इसी के सहारे अब वह खुद पेंटिंग भी बनाने लगे।
वह इन्फ्रारेड और अल्ट्रा वायलेट किरणों को भी पहचान सकते हैं। आम इंसानी आंखें इन्हें नहीं देख सकती हैं।
इतना ही नहीं, इस तकनीक की वजह से वे इंटरनेट और ब्लूटूथ से कनेक्ट हो सकते हैं। उनका सेंसर भूकंप झटकों को भी महसूस कर सकता है। एक सेंसर वाले एंटीना की वजह से नील अब रंगों को सुन सकते हैं और उन्हें महसूस कर सकते हैं।