मिस्र के पिरामिड से मिला 2300 साल पुराना रहस्यमय जूस, 36 हजार लोग पीने की कर रहे मांग
शनिवार, 30 जनवरी 2021 (10:58 IST)
रोचक-रोमांचक के इस बार के एपिसोड में हम लाएं हैं एक ऐसे रहस्यम जूस के बारे में जानकारी जिसे पीने के लिए अब तक 36 हजार लोगों ने मिस्र सरकार से अनुमति मांगी है। जी हां, यह जूस मिला है मिस्र के पिरामिडों के एक शापित काले ताबूत के अंदर से। आओ जानते हैं कि क्या है पूरा मामला।
मिस्र बहुत ही प्राचीन देश है। यहां के पिरामिडों की प्रसिद्धि और प्राचीनता के बारे में सभी जानते हैं। यहां की प्राचीन सभ्यता लगभग 3,000 ईसा पूर्व से भी अधिक समय से विद्यमान थी। यहां समय-समय पर पिरामिडों के रहस्य सामने आते रहते हैं। इस बार सामने आया है एक रहस्यमयी जूस जिसे एनर्जी ड्रिंक कहा जाने लगा है।
जैसे ही मिस्र वासियों के यह पता चला कि काले शापित मकबरे के अंदर से एक रहस्यमी जूस मिला है तो यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई और अब लगभग 36 हजार लोग इसे पीने की मांग कर रहे हैं। एक यूजर इन्नेस मैक ने तो चेंज डॉट ओआरजी पर याचिका शुरू की है जिस पर अब तक 36 हजार लोग साइन कर चुके हैं। इन लोगों का तर्क है कि हमें शापित काले ताबूत से मिले लाल पानी को एनर्जी ड्रिंक के रूप में पीने की अनुमति दी जाए ताकि हमारे अंदर उसकी ताकत आ जाए और हम अंतत: मर सकें।...तो आओ अब यह जानते हैं कि आखिर यह जूस क्या है और कहां से मिला है?
दरअसल, यह जूस करीब 2300 साल पुराने एक काले रंग के ताबूत के अंदर से मिला था। उत्तरी मिस्र के अलेक्जेंड्रिया इलाके में पुरातत्वविद एक कमरे में काम कर रहे थे और तभी उन्हें एक विशाल मकबरा नजर आया जो करीब 10 फुट लंबा था। इसी मकबरे में यह ताबूत दफन किया गया था। इस ताबूत में से जो ममी निकली वो 305 ईसापूर्व से 30 ईसापूर्व के बीच शासन करने वाले पटोलेमिक काल की है।
पुरातत्वविदों ने जब इस ममी को खोला तो उसके अंदर से तीन इंसानी कंकाल मिले। माना जा रहा है कि ये कंकाल सैनिकों के थे जो बदबूदार लाल पानी के बीच रखे हुए थे। जब इस लाल पानी के मिलने की खबर लोगों को मिली तो उन्होंने इसे पीने की मांग करते हुए कहा कि अगर उसमें कोई दैवी ताकत है तो वह उन्हें मिल जाए। कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है इसे पीने की अनुमति देना हमारी स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करना है।
कुछ लोगों का यह भी कहना था कि यह मकबरा शापित है और अगर उसे खोला गया तो दुनिया में प्लेग जैसी महामारी फैल सकती है। इस बीच मिस्र के प्रतिष्ठित पुरातत्वविद मुस्तफा वजीरी ने कहा है कि हमने इसे खोला है और अल्लाह का शुक्र है कि दुनिया में अंधेरा नहीं फैला। मैंने सबसे पहले अपना सिर इस ताबूत के अंदर डाला था और मैं अभी भी जिंदा हूं।