मामला बैतूल जिले के मर्दवानी और भुड़की गांव का है, यहां दुल्हन शर्मिला और दूल्हा सतीश दोनों पढ़े-लिखे हैं। सतीश जहां सेना में सिपाही हैं, तो आदिवासी गांव मर्दवानी की शर्मिला बीएससी ग्रेजुएट हैं। परिजनों ने दोनों की शादी की तारीख 6 मई तय कर दी। टेंट से खाना बनाने वाले और बारात लाने ले जाने के लिए गाड़ियों का इंतजाम कर उन्हें एडवांस दे दिया गया। यहां तक कि सतीश के परिजनों ने आमंत्रण पत्र छपवाकर अपने कई रिश्तेदारों में बांट भी दिए हैं।
इस बीच चुनाव की घोषणा ने दूल्हा-दुल्हन को बेचैन कर दिया। जो दुल्हन अपने शादी के जोड़े से लेकर हाथ में मेहंदी रचाने तक कि तैयारी में जुटी हुई थी ने अपने होने वाले हमसफर के साथ तय किया कि शादी 6 मई को नहीं बल्कि 7 मई को होगी। दोनों के इस फैसले को परिवार ने भी माना और दोनों परिवार ने बैठकर तय कर लिया कि मतदान के चलते मेहमानों को होने वाली परेशानी दूर करने के लिए शादी 7 मई को होगी।
दुल्हन शर्मिला के मुताबिक उसे ससुराल जाने का रोमांच तो है, लेकिन चुनाव के चलते वह एक दिन और इंतजार कर लेगी, जबकि परिजन बताते हैं कि इससे उन्हें परेशानी तो हुई क्यों कि टेंट और बाकी लोगों को जिस तारीख की बुकिंग दी गई थी वह तारीख तय कर दी गई थी। ऐसे में उनके द्वारा 7 मई को दूसरे कार्यक्रमों की बुकिंग की गई थी।
दूल्हे के पिता प्रेम उइके ने कहा कि पहले शादी की तारीख 6 मई तय हो गई थी बाद में चुनाव की तारीख भी 6 मई हो गई इसलिए हमने परिवार और ग्रामीण जन मतदान कर सकें, इसलिए शादी की तारीख 7 मई की है। प्रेम उइके ने बताया कि हमने शादी की पत्रिका भी 6 मई की छपवा ली थी और कुछ पत्रिकाओं का वितरण भी कर दिया था। अब फिर 7 मई की शादी की पत्रिका छपवाई और दोबारा बांट रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि मतदान के दिन बाराती अपना वोट तसल्ली से डाल सकें। उधर अनंतनाग में पदस्थ दूल्हे सतीश ने बताया कि वह 30 अप्रैल को घर आकर शादी की बची तैयारियां पूरी करेगा। दूल्हा-दुल्हन की इस पहल की जिला निर्वाचन अधिकारी और बैतूल कलेक्टर तरुण कुमार पिथौडे ने सराहना की है। उन्होंने दोनों के इस कदम को मतदाता जागरूकता के लिए की गई प्रेरणादायी मिसाल बताया है।