17 जुलाई का दिन उन परिवारों के लिए सबसे मनहूस साबित हुआ, जिनके परिजन मलेशिया एयरलाइंस के विमान बोइंग 777 में सवार थे, जो एम्सटर्डम से कुआलालंपुर जा रहा था। इस विमान पर विद्रोही गतिविधियों से प्रभावित क्षेत्र यूक्रेन में जमीन से हवा में मार करने वाली शक्तिशाली 'बक' मिसाइल दागी गई, जिसने कुछ ही पलों में 295 लोगों को मौत की नींद सुला दिया। सवाल यह है कि इस तरह के हादसे मलेशियन एयरलाइंस के साथ ही क्यों होते हैं?
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क्या आप इसे संयोग ही मानेंगे कि महज चार महीने पहले 8 मार्च का वह दिन था, जब मलेशियाई एयरलाइंस एमएच 370 बोइंग 777 विमान भी मिसाइल की चपेट में आ गया था, जिसने 239 लोगों की जान ले ली थी? तब दुनियाभर में तहलका मच गया था और भारत समेत न जाने कितने देशों ने इस विमान के मलबे या लाशों को खोजने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी।
कभी ऑस्ट्रेलिया तो कभी चीन के खोजी दलों को हिंद महासागर में कोई चमकीली वस्तु दिखती तो लगता था कि शायद वह मलेशियाई एयरलाइंस एमएच 370 बोइंग 777 विमान का मलबा हो लेकिन इतनी अत्याधुनिक खोजों और उपकरणों के बावजूद आज तक उसका कोई सुराग नहीं मिला।
उक्त घटना में यात्रियों के परिजनों ने खून के आंसू पिए और समय गुजरने के बाद लोगों के दिलोदिमाग से मलेशियन एयरलाइंस के इस हादसे की स्मृति भी जाती रही लेकिन 17 जुलाई को एक बार फिर मलेशियन एयरलाइंस को निशाना बनाया गया और फिर से 295 बेकसूर जानें हवा में मौत के घाट उतार दी गईं।
इस हादसे के बाद तो अंतरराष्ट्रीय जगत में कोहराम मचना चाहिए। रूस या अमेरिका या फिर मलेशियाई सरकार कुछ दिनों तक बयानबाजी करती रहेंगी, लेकिन उन 295 लोगों का क्या गुनाह था, जिनकी जिंदगी बिना किसी कसूर के छीन ली गईं। न जाने कितने सपने पलभर में राख में तब्दील हो गए।
यकीनन अंतराष्ट्रीय जगत के लिए यह बहुत बड़ा मामला है और इस तरह के हादसे दोबारा न हों इसके लिए किस तरह के उपाय किए जाएं, यह जरूर सोचना चाहिए। रूसी अलगाववादी, जिन्होंने इस वीभत्स घटना को अंजाम दिया, उनके खिलाफ किस तरह के कदम उठाए जाएंगे, यह भी देखना बाकी रहेगा।
जमीन से 10 हजार मीटर की ऊंचाई पर उड़ रहे विमान को कुआलालंपुर पहुंचना था लेकिन इंसानी फितरत 295 लोगों के लिए यमदूत बनकर सामने आ गई। इस हादसे का भारतीय एयरलाइंस पर असर होना स्वाभाविक है। एयर इंडिया और जेट एयरवेज ने ऐलान कर दिया है कि वह अपने विमान यूक्रेन से नहीं उड़ाएगी लेकिन यह तमाम कोशिशें अपनी जगह ठीक हैं, लेकिन स्थायी हल नहीं। सवाल अब भी वहीं की वहीं रह जाता है कि ये हादसे मलेशियन एयरलाइंस के साथ ही क्यों होते हैं? (वेबदुनिया न्यूज)