वॉशिंगटन। भारतीय मूल के एक अमेरिकी वैज्ञानिक को कैंसर बायोमार्कर्स की पहचान के लिए पुरस्कार में 65 लाख अमेरिकी डॉलर दिया गया है। कैंसर बायोमार्कर की पहचान से कैंसर के उपचार और इस घातक बीमारी के लिए नई लक्षित थेरेपी के विकास में मदद मिलेगी।
यूएस नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ने अरुल चिन्नैयन को यह पुरस्कार दिया है। चिन्नैयन मिशिगन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं। मिशिगन विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि चिन्नैयन को नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट से 'आउटस्टेंडिंग इन्वेस्टीगेटर अवॉर्ड' मिला है।
यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन मेडिकल स्कूल में पैथोलॉजी के प्रोफेसर चिन्नैयन ने कहा, इस अनुदान से हमें नए बायोमार्कर की पहचान और कैंसर की वृद्धि में उनकी जैविक भूमिका को समझने में मदद मिलेगी। कैंसर के जानकार चिन्नैयन ने 2010 में मिशिगन ऑकोलाजी सिक्वेंसिंग (एमआई-ओएनसीओएसईक्यू) कार्यक्रम शुरू किया। बायोमार्कर या बायोलॉजिकल मार्कर एक प्रकार का संकेतक है, जो जैविक स्थिति या हालात की जानकारी देता है। (भाषा)