मां की पसंद के सम्मान के दिशा-निर्देशों के बावजूद अस्वीकार किए जाते हैं सीजेरियन जन्म के अनुरोध
शुक्रवार, 25 जून 2021 (17:02 IST)
कैलगेरी (कनाडा) (द कन्वरसेशन)। पहली बार मां बनने जा रहीं मेलानी ने ओंटारियो में अपने प्रसूति-स्त्रीरोग विशेषज्ञ (ओबी-गाइने) से जब संपर्क कर सीजेरियन तरीके से बच्चे को जन्म देने का आग्रह किया तो उन्हें उसका जवाब परेशान करने वाला लगा।
मेलानी ने कहा कि मुझे बताया गया कि मैं अपनी बेटी को इस दुनिया में कैसे लाना चाहती हूं, यह चुनने का मुझे अधिकार नहीं हैं और कोई भी ओबी-गाइने मेरे अनुरोध को स्वीकार नहीं करेगा। मुझे यह जिद छोड़नी होगी और प्राकृतिक तरीके से ही जन्म देना होगा। उसने मुझसे यह भी कहा कि वह उन चिकित्सकों से सहमत नहीं हैं, जो इन अनुरोधों को स्वीकार कर लेते हैं।
चिंतित और तनावग्रस्त मेलानी ने मदद के लिए सोशल मीडिया ग्रुप का रुख किया। इस बीच उसी प्रांत में 50 किलोमीटर दूर, जेसिका ने भी अपने डॉक्टर से यही आग्रह किया। उन्होंने कहा कि उनके शरीर के साथ क्या होना चाहिए, इसका फैसला कोई और करेगा, यह विचार बहुत परेशान करने वाला है। जेसिका ने कहा कि शुक्र है कि मेरी किस्मत अच्छी रहे और मुझे सहयोग करने वाली गाइनेकोलॉजिस्ट मिली। उन्होंने कहा कि मैंने सीजेरियन प्रणाली से जन्म देने के कारणों को शांति से बताया और उन्होंने मुझे सुना और तुरंत तैयार हो गईं।
मातृत्व देखभाल में परिवर्तनशीलता : 2018 में सोसाइटी ऑफ ऑब्स्ट्रेटिशियन एंड गाइनेकोलॉजिस्ट्स ऑफ कनाडा (एसओजीसी) ने सीजेरियन जन्म के लिए मातृत्व अनुरोधों पर दिशा-निर्देश प्रकाशित किए। इसमें चिकित्सकों को अनुरोध के कारणों का पता लगाने की तथा संभावित जोखिमों और फायदों पर चर्चा करने की सलाह दी गई। सीजेरियन जन्म अनुरोध से असहमत चिकित्सकों की जिम्मेदारी होती है कि वे महिला को दूसरी राय लेने के लिए रेफर करें या उसका मामला किसी अन्य चिकित्सक को भेज दें।लेकिन हकीकत यह है कि कई महिलाओं को सीधे ना कह दिया जाता है।
इन बातों के कारण मातृत्व देखभाल अनुभवों में इतने अंतरों का पता लगाने की कोशिश की गई। शुरुआती परिणामों में सीजेरियन जन्म अनुरोध प्राप्त होने के समय डॉक्टरों को किन बातों का पालन करना है इसके लिए स्पष्ट, सुसंगत प्रक्रियाओं की आवश्यकता पर प्रकाश डालने की जरूरत है। अनुसंधानों और मरीजों की सूचना की समीक्षा दिखाती है कि मरीज की स्वायत्ता का सैद्धांतिक रूप से पालन किया जाना चाहिए। हालांकि, क्लिनिकल व्यवहार में सीजेरियन जन्म के लिए अनुरोध अस्पतालों की समझ एवं इससे संबंधित दिशा-निर्देशों को लागू करने से संबंधित है। मरीजों से संबंधित वेबसाइटों पर उपलब्ध सूचना के मुताबिक कि विशेषज्ञों का मानना है कि सी-सेक्शन केवल चिकित्सीय कारणों से किया जाना चाहिए, जो एसओजीसी के दिशा-निर्देशों के विपरीत है।
सीजेरियन जन्म सुरक्षा पर अनुसंधान : यूनिवर्सिटी ऑफ ओटावा के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा हाल में किया गया अध्ययन दर्शाता है कि नियोजित सीजेरियन जन्म सुरक्षित हैं और नियोजित प्राकृतिक तरीके से होने वाले जन्मों की तुलना में इनमें कुछ बहुत कम समय वाली जटिलताएं देखी जाती हैं जिनमें फोरसेप से डिलिवरी और आपातकालीन सर्जरी शामिल है।
अनुसंधानकर्ताओं ने सीजेरियन जन्म का अनुरोध करने वाली या जिनका अनुरोध स्वीकार किया गया ऐसी महिलाओं के बारे में भी जाना और पाया कि ये महिलाएं श्वेत, 35 साल से अधिक उम्र की, पहली बार मां बनने वाली और गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक वजन बढ़ने के कारण चिंतित और आईवीएफ के जरिए मां बनने वाली थीं। चिकित्सक अकसर सीजेरियन जन्म का चुनाव करते हैं।
कई चिकित्सक अपने बच्चों के लिए भी सीजेरियन जन्म चुनते हैं। हालांकि, इसके बावजूद स्वास्थ्य पेशेवरों को भी इनकार किया जा सकता है। ब्रिटिश कोलंबिया में एक नर्स लीडिया ने बताया कि उन्हें पहले बच्चे के समय सीजेरियन तरीके से जन्म के लिए मना कर दिया गया था और उन्हें जिन बातों का डर लग रहा था जैसे बच्चे का कंधा फंस जाना, नसों को नुकसान होना, सांस लेने में तकलीफ जैसी आशंकाएं सच साबित हो गईं थी। दूसरे बच्चे के वक्त उनका अनुरोध मान लिया गया था। तो पहली बार में भी इसे स्वीकार क्यों नहीं किया जा सकता?
पसंद में बाधा : विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थिति के अनुरूप कई चिकित्सक सीजेरियन तरीके से जन्म के विकल्प से सहमत नहीं होते हैं। डब्ल्यूएचओ चिकित्सीय रूप से अनावश्यक सीजेरियन के फायदों के लिए साक्ष्यों के अभाव के साथ-साथ सर्जरी से जुड़े जोखिमों का भी हवाला देता है। वे चिकित्सीय हस्तक्षेप खासकर सीजेरियन सर्जरियों को कम करना चाहते हैं।
लेकिन किस कीमत पर? : कैलगेरी में एक ऑब्स्ट्रेटिशियन डॉ. फियोना मैटाटैल ने बताया कि कि गर्भावस्था के लिए डिलिवरी के तरीके की मरीज की पसंद से इनकार करना देखभाल के प्रति पुरातन पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण है। ये दिशा-निर्देश ब्रिटेन के उच्चतम न्यायालय के 2015 के ऐतिहासिक फैसले के बाद आए थे जिसमें कहा गया था कि एक महिला कि अपने डॉक्टर को ऐसा उपचार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकती जिसे वह अनुचित या निरर्थक मानते हैं वहीं चिकित्सीय पेशेवर को भी उसकी पसंद का सम्मान करना चाहिए। यह अनुसंधान निष्कर्ष निकालता है कि मातृत्व देखभाल तंत्र को इन चुनौतियों का उस प्रकार से सामना करना होगा, जो सभी महिलाओं को सूचित विकल्प मुहैया कराए जिसमें पक्षपात जैसी बाधा न हो।(भाषा)