यह प्रणाली बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल देशों को सेवाएं प्रदान करेगी। यह प्रणाली 2020 तक पूरी तरह वैश्विक उपग्रह नौवहन व्यवस्था बनाएगी। तब तक चीन की योजना 30 से ज्यादा उपग्रहों तैयार करने की है। अगर योजना के अनुसार सब कुछ सफल होता है तो अमेरिका और रूस के बाद चीन तीसरा ऐसा देश होगा, जो अपनी खुद की नौवहन प्रणाली संचालित करेगा।
बेदोउ परियोजना की शुरुआत 1994 में हुई थी। इसने चीन को साल 2000 में सेवा देना शुरू की। इसके बाद साल 2012 के अंत में इसकी सेवा एशिया-प्रशांत क्षेत्र को मिलने लगी। पहली पीढ़ी के उपग्रहों की तुलना में बेदोउ-3 अन्य उपग्रहीय नौवहन प्रणाली से ज्यादा अच्छे संकेत भेजने में सक्षम है और यह अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तलाश और बचाव कार्य में भी उपग्रह आधारित बेहतर सेवाएं दे सकता है।