पाकिस्तान में अधिकतर हिन्दू धार्मिक स्थलों की हालत खराब
सोमवार, 8 फ़रवरी 2021 (16:18 IST)
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के अधिकतर धार्मिक स्थल खराब हालत में हैं और उनके रखरखाव के लिए जिम्मेदार प्राधिकरण अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा है। हाल ही में पेश की गई एक रिपोर्ट में ये बातें कही गई हैं।
'द डॉन' की खबर के अनुसार एक सदस्यीय आयोग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट 5 फरवरी को उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई जिसमें देश में समुदाय के अधिकतर धार्मिक स्थलों की खस्ता हालत के बारे में बताया गया है।रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि इन स्थलों के रखरखाव के लिए जिम्मेदार इवैक्वी ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकतर प्राचीन एवं पवित्र स्थलों के रख-रखाव में नाकाम रहा है।
खबर में कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय ने डॉक्टर शोएब सडल के एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। इसमें 3 सहायक सदस्यों डॉक्टर रमेश वंकवानी, साकिब जिलानी और पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल शामिल थे। उन्हें आयोग की तथ्यान्वेषी गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए उप अटॉर्नी जनरल नामित किया गया था।
आयोग के सदस्यों ने 6 जनवरी को चकवाल में कटासराज मंदिर और 7 जनवरी को मुल्तान में प्रह्लाद मंदिर का दौरा किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि टेर्री मंदिर (करक), कटासराज मंदिर (चकवाल), प्रह्लाद मंदिर (मुल्तान) और हिंगलाज मंदिर (लसबेला) की हालत सुधारने के लिए लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। रिपोर्ट में हिन्दू और सिख समुदाय से संबंधित पवित्र स्थलों के पुनर्वास के वास्ते एक कार्यसमूह बनाने के लिए ईटीपीबी अधिनियम में संशोधन करने का भी सुझाव दिया गया है। इस रिपोर्ट में सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि वह ईटीपीबी का निर्देश दे कि वह खस्ताहाल टेर्री मंदिर/ समाधि के पुनर्निर्माण में हिस्सा ले और समय-समय पर शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए निर्देशों के कुशल कार्यान्वयन के लिए खैबर पख्तूनख्वा सरकार के साथ सहयोग करे।
दिसंबर में खैबर पख्तूनख्वा के करक जिले में टेर्री गांव में कट्टरपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी (फज्ल-उर-रहमान समूह) के सदस्यों ने एक मंदिर में आग लगा दी थी। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के नेताओं ने मंदिर पर हमले की कड़ी निंदा की थी जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इसके पुनर्निर्माण का आदेश दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने 5 जनवरी के अपने आदेश में ईटीपीबी को निर्देश दिया था कि वह पूरे पाकिस्तान के उन सभी मंदिरों, गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक स्थलों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करे, जो उसके दायरे में आते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि ईटीपीबी पत्र के अनुसार वह 365 मंदिरों में से केवल 13 का प्रबंधन देख रहा है जबकि 65 धार्मिक स्थलों की जिम्मेदारी हिन्दू समुदाय के पास है जबकि शेष 287 स्थल भू-माफियाओं के कब्जे में हैं। (भाषा)