लंदन। वैज्ञानिकों का कहना है कि अंडे के सफेद भाग, आंसुओं, लार और स्तनपायी जीवों के दूध में मिलने वाले प्रोटीन को बिजली बनाने और भविष्य में अनोखे चिकित्सकीय उपकरण बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
आयरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ लाइमरिक (यूएल) के शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रोटीन के एक प्रकार लाइसोजाइम के क्रिस्टलों पर दबाव बनाकर बिजली पैदा की जा सकती है। दबाव बनाकर बिजली पैदा करने की इस क्षमता को प्रत्यक्ष दाबविद्युत (पाइजोइलेक्ट्रिसिटी) के नाम से जाना जाता है। यह स्फटिक जैसे पदार्थों का गुण है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में और विद्युत ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदल देते हैं।