जोहानसबर्ग में जुलाई में इसकी शुरुआत जरूरतमंदों को कंबल बांटकर की गई, जिसके बाद खाने के पैकेट भी बांटे गए और इस दौरान कई सामुदायिक गतिविधियों का आयोजन भी किया गया। जोहानसबर्ग गुरुद्वारा साहिब के उपाध्यक्ष बलविंदर कालरा ने कहा, यह दक्षिण अफ्रीका में सिख धर्म के संदेश और अन्य समुदायों तक हमारी विशिष्ट पहुंचाने का तरीका था।
कालरा ने कहा, कई स्थानीय लोग नियमित रूप से सफाई करने, लंगर बनवाने और सेवा के अन्य कार्य करने गुरुद्वारे में आते हैं। भारत में दक्षिण अफ्रीका के उच्चायुक्त जयदीप सरकार ने सिख समुदाय की सराहना की, जिसमें विशेष रूप से भारतीय प्रवासी और सिख शामिल हैं।
उन्होंने कहा, गुरु नानक ने कहा था कि आपको सामान्य और आध्यात्मिक जीवन जीना चाहिए, लेकिन संन्यासी न बनें, महंत न बनें। इसीलिए सिखों की नृत्य, भांगड़ा और ढोल की संस्कृति केवल आपकी संस्कृति का नहीं, बल्कि सभी भारतीयों का हिस्सा है।