नॉर्वेजियन कंज्यूमर काउंसिल ने अपने अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है। इसके अनुसार, ये कंपनियां उपयोगकर्ताओं को सीमित डिफॉल्ट विकल्प ही उपलब्ध करवा रही हैं, जबकि यूरोपीय संघ (ईयू) के नए डेटा संरक्षण नियमों में डेटा गोपनीयता के बारे में उपयोक्ता को अधिक नियंत्रण व विकल्प देने का प्रावधान किया गया है।