इसके एक दिन बाद मंगलवार को प्रवासी मामलों की वकील अनु पेशावरिया ने कहा कि इस अभियान का सैकड़ों भारतीय छात्रों पर विध्वंसकारी असर पड़ेगा। पेशावरिया ने कहा, हम यह नहीं कह रहे कि हमारे छात्रों की गलती नहीं हैं उन्हें दाखिला लेने से पहले पूरी छानबीन कर लेनी चाहिए थी। अगर वे जानबूझकर अपराध कर रहे हैं तो उन्हें सजा मिलनी चाहिए लेकिन अगर वे फंसे हैं या उन्हें अपराध करने के लिए बढ़ावा दिया गया तो हमें उनकी मदद करनी चाहिए।
उन्होंने कहा, आंतरिक सुरक्षा विभाग ने जानबूझकर फर्जी विश्वविद्यालय स्थापित करने की अनुमति दी और दूसरे देशों में सैकड़ों मील दूर बैठे छात्रों को गुमराह किया। उन्होंने छात्रों से की बातचीत के आधार पर कहा कि कई छात्रों पर भारी कर्ज है। वे बर्बाद हो गए हैं।
वकील ने कहा, हम सभी छात्रों को तत्काल रिहा कराने के लिए लड़ रहे हैं। छात्र मुझे फोन कर रहे हैं कि अमेरिकी सरकार उन्हें स्व निर्वासन के लिए मजबूर कर रही है लेकिन वे अपनी डिग्रियां वापस चाहते हैं और इस तकलीफ के लिए मुआवजा चाहते हैं।