इसी विश्वास का परिणाम है कि पेरूवासी टेलमैटोबियस क्यूलस प्रजाति के मेंढक का प्रयोग करते हैं जो कि दूरस्थ लेक टिटिलिकाका के पानी में पाया जाता है और इसे इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर ने बहुत अधिक लुप्तप्राय घोषित किया है। पेरू और बोलीविया में समूचे मेंढक को ही एक जूस का अहम हिस्सा समझा जाता है, जिससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, सुस्ती और कामेच्छा की कमी का इलाज किया जाता है।
अपनी दुकान में मेंढक का मिश्रण बनाने के लिए पेरू की राजधानी में दुकानदार मारिया एलीना क्रूज एक छोटे से तालाब से मेंढक पकड़ती हैं और दुकान के काउंटर पर रखकर इसके सिर पर तब तक प्रहार करती रहती हैं, जब तक कि बेचारे की जान नहीं निकल जाती है। इसके बाद वे इसकी त्वचा को छीलती हैं और मेंढक को एक ब्लेंडर में डाल देती है, जिसमें वे गाजर, शहद और पेरू की मैसा की जड़ को मिलाते हैं। इस जूस का रंग हल्का हरा होता है और इसे बहुत सारी बीमारियों का इलाज समझा जाता है।