प्रत्यर्पण संधि की प्रक्रियाओं के तहत चीफ मजिस्ट्रेट का फैसला गृहमंत्री को भेजा गया था, क्योंकि सिर्फ गृहमंत्री ही माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश देने के लिए अधिकृत हैं। अप्रैल 2017 में स्कॉटलैंड यार्ड की ओर से तामील कराए गए प्रत्यर्पण वॉरंट पर माल्या जमानत पर है।
यह वॉरंट उस वक्त तामील कराया गया था, जब भारतीय अधिकारियों ने किंगफिशर एयरलाइंस के पूर्व प्रमुख माल्या को 9,000 करोड़ रुपए की रकम की धोखाधड़ी और धनशोधन के मामले में आरोपित किया था।
ब्रिटेन की अदालत ने कहा था कि वह भारत सरकार की ओर से दिए गए विभिन्न आश्वासनों से संतुष्ट है जिसमें जेल की एक सेल का वीडियो भी शामिल है। देश के कई बैंकों से 9,000 करोड़ रुपए की रकम डकार चुका विजय माल्या कुछ सालों से ब्रिटेन में रह रहा है और बार-बार कहता रहा है कि उस पर कोई देनदारी नहीं है।
सनद रहे कि देश के ऐसे 14 कारोबारी हैं, जो गलत तरीके से पैसा हजम करके विदेश भाग गए हैं। इन सभी को भारत लाने की कोशिश जारी हैं। यदि वास्तव में भारत सरकार विजय माल्या को भारत लाने में कामयाब हो जाती है तो यह प्रधानमंत्री मोदी की सबसे बड़ी जीत के साथ ही लोकसभा चुनाव के पूर्व 'मास्टरस्ट्रोक' रहेगा, क्योंकि वे अपनी सभाओं में हमेशा से बोलते आए हैं कि मैं किसी को नहीं छोडूंगा।
वैसे ब्रिटेन की सरकार के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए माल्या के पास 14 दिनों का वक्त है। यदि उसकी अपील खारिज हो जाती है तो जल्दी ही उसे भारतीय कानून का सामना करना होगा। इसमें कोई शक नहीं कि 9,000 करोड़ के आरोपी माल्या का प्रत्यर्पण भारत सरकार की सबसे बड़ी सफलता मानी जाएगी और भाजपा इसे अगले चुनाव में जरूर भुनाएगी।