शुरू में हुआ लाभ, लेकिन : एयर डेक्कन को टेकओवर करने में माल्या को तत्काल फायदा तो हुआ और 2011 में किंगफिशर देश की दूसरी बड़ी एविएशन कंपनी भी बन गई, लेकिन कंपनी एयर डेक्कन को खरीदने के पीछे के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाई और बढ़ती फ्यूल कॉस्ट ने ऑपरेशन लागत बढ़ा दी। इससे कंपनी को बड़ा घाटा हुआ। माल्या के लिए यह सौदा सबसे बड़ी गलती बना और पांच वर्ष के अंदर ही किंगफिशर एयरलाइंस बंद होने के साथ ही पूरा कारोबारी साम्राज्य समाप्त हो गया।