इस अनुसंधान में यह भी दिखाया गया है कि कैसे ध्रुवीय हिमच्छद के विशाल इलाके ढह सकते हैं और पारिस्थिकीय प्रणाली में ऐसी अहम तब्दीलियां आ सकती हैं जिससे सहारा रेगिस्तान में हरियाली छाएगी और उष्णकटिबंधीय वनों के किनारे, आग से घिरे सवाना मैदानों में बदल सकते हैं।
स्विट्जरलैंड के बर्न विश्वविद्यालय के हुबर्टस फिशर ने बताया, 'पिछले गर्म कालों के अवलोकन बताते हैं कि जलवायु माडलों में अच्छी तरह से पेश नहीं किए गए प्रवर्धनकारी तंत्र जलवायु माडल के पूर्वानुमानों से कहीं आगे दीर्घकालीन तापमान इजाफा बताते हैं।'
फिशर ने कहा, 'यह बताता है कि वैश्विक तापमान में दो डिग्री सेल्सियस के इजाफे से बचने के लिए कार्बन बजट आकलन से बहुत कम हो सकता है और यह पेरिस लक्ष्य पूरा करने में त्रुटि का दायरा बहुत छोता करता है।' (भाषा)