हिटलर की क्रूरता की एक और दास्तान...

पोलैंड में हिटलर के पहले डैथ कैम्प की जानकारी सार्वजनिक हुई है। पोजनन, पोलैंड से मेलऑनलाइन के लिए एड वाइट लिखते हैं कि वर्ष 1939 में पश्चिमी पोलैंड के इस स्थान पर नाजियों ने सबसे पहले गैस चैम्बर्स से लोगों के मारने का पहली बार परीक्षण किया था।
नाजी सैनिकों ने लोगों को मारने से पहले परीक्षण के तौर पर यहूदी मानसिक रोगियों और उनकी नर्सों को सबसे पहले मारा। तीन वर्षों के बाद उन्होंने लाखों की संख्या में यहूदियों को इन गैस चैम्बर्स में मौत के घाट उतारा।
 
इस काम को अंजाम देने का जिम्मा नाजी जर्मनी के अर्धसैनिक संगठन शू्ल्जस्टेफल (एसएस) को दिया गया था। इस संगठन के लोगों ने सबसे पहले मनोरोगियों का अपहरण किया और उन्हें कंसंट्रेशन कैम्प में रखा। 1940 तक इन लोगों ने 5000 से ज्यादा रोगियों और सैकड़ों की संख्या में पोलिश नर्सों को मार डाला। पोलैंड पर कब्जा करने के बाद नाजियों ने सामूहिक हत्याओं के लिए गैस चैम्बरों का यहीं सबसे पहले उपयोग किया। 
 
एसएस ने 10 अक्टूबर, 1939 को पोजनन सिटी में 19वीं सदी के फोर्ट कॉल्म्ब को पहला कंसंट्रेशन कैम्प बनाया। इस स्‍थान को नाजी शासन के ‍कैदियों को रखने के स्थान की बजाय मनोरोगियों की क्रमबद्ध तरीके से हत्या करने का केन्द्र बना दिया गया। जिसे भी नाजी सत्ता के खिलाफ माना गया, उसे यहां पर लाकर समाप्त कर दिया गया। 76 वर्ष पहले अक्टूबर के माह में तीसरे नाजी शासन की नीति के तहत साठ लाख यहूदियों की हत्या से पहले परीक्षण शुरू किया गया था। 
 
अपहरण कर लाए गए मनोरोगियों को ट्रकों में भरकर लाया गया जिन्हें बहुत पुराने गैस चैम्बरों में डाला गया था। ये पहले आर्टिलरी (तोपखाने) के भंडार होते थे। सबसे पहले पुरुष रोगियों का नंबर आया। गेस्टापो (जर्मन खुफिया पुलिस) के स्पेशल एक्जीक्यूशन ग्रुप के लोग ओविंस्का नाम के मानसिक अस्पताल से रोगियों को पकड़कर लाते थे। प्रत्येक ट्रक में 25 सक्षम लोगों को भरा जाता था और अस्पताल से प्रतिदिन कम से कम तीन ट्रक में लोगों को लाया जाता था।
 
जब सारे पुरुषों की मौत हो गई तो महिला बीमारों को लाया जाने लगा और अंत में बच्चों की भी बारी आ गई। 30 नवंबर तक यहां सभी मरीजों को मारा जा चुका था। सबसे अंत में अस्पताल के ‍कर्मियों को भी लाकर गैस से मार दिया गया। इस कैम्प में आने पर रोगियों को नीचे उतारा जाता और इन लोगों को एक पुल के पार ले जाया जाता जहां से इन लोगों को कैम्प के पिछले हिस्से में बने दो गैस चैम्बरों में डाल दिया जाता जो कि एक पहाड़ी के ऊपर बने थे। 
और इस तरह लोगों को मौत कीनींद सुला दिया जाता था... पढ़ें अगले पेज पर...
 
 
 

इन चैम्बरों में अंदर डाले जाने के बाद दरवाजों को मिट्‍टी से सील दिया जाता और एक छेद के जरिए चैम्बर में कार्बन मोनो ऑक्साइड को पम्प किया जाता। इन घृणित प्रयोगों की सफलता के बाद क्षेत्र के अन्य अस्पताल के रोगियों को मारने के‍ लिए मोबाइल गैस चैम्बर्स का उपयोग किया जाने लगा जो कि वैन के अंदर बने होते थे।
 
इन वैन्स को आस पड़ोस के जंगलों में खाली कर दिया जाता था। चार और 6 अक्टूबर को नाजी खुफिया सेना के प्रमुख हाइनरिख हिमलर ने एसएस अधिकारियों और पार्टी कार्यकर्ताओं को कहा था कि यह नरसंहार नाजियों का ऐतिहासिक मिशन है।   
 
एक समय पर हिमलर ने इन लोगों को ‍'डीसेंट मेन' बताया और कहा कि 'अगर यहूदी जर्मन राष्ट्र का हिस्सा बने रहे तो हम फिर से वैसी ही स्थिति में आ जाएंगे जैसे कि 1916-17 में थे।' पर इस नरसंहार के बाद 1942 तक यूरोप की दो तिहाई यहूदी जनसंख्या की हत्या की जा चुकी थी।

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