सूरज की सतह पर 8 घंटों तक हुए विस्फोट:
NASA पिछले कई दिनों से सूरज की सतह पर हो रही हरकतों पर नजर रख रहा है। NASA ने कहा कि सूरज की सतह पर 8 घंटे तक भयानक विस्फोट हुए, जिसकी वजह से ये तूफान धरती के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि तूफान की रफ्तार 1200 किलोमीटर प्रति सेकंड से भी ज्यादा हो सकती है। इसका असर पश्चिम और पश्चिम-मध्य के देशों पर अधिक देखने को मिलेगा। NASA की स्पेस वेदर एजेंसी ने भविष्यवाणी की है कि ये तूफान बुधवार की रात से शुक्रवार की सुबह के बीच कभी भी धरती से टकरा सकता है।
रूस-अमेरिका में अभी से रेडियो सिग्नल ठप:
इसके साक्ष्य अमेरिका और रूस में अभी से देखने को मिल गए हैं। तूफान के धरती तक पहुंचने से पहले ही अमेरिका और रूस के कई हिस्सों में अस्थायी रूप से रेडियो सिग्नलों ने काम करना बंद कर दिया है। सूरज की सतह में विस्फोट से उत्पन्न होने वाले तूफानों में सबसे ताकतवर तूफान 'एक्स-1' श्रेणी के होते हैं। NASA ने कहा कि पृथ्वी से टकराने वाला यह सौर तूफान एक्स-1 श्रेणी का ही है, जिससे दुनियाभर की रक्षा तथा स्पेस एजेंसियों को सतर्क रहने की जरूरत है।
भारत में मोबाइल-इंटरनेट होंगे प्रभावित:
भारतीय अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने दावा किया है कि इस तूफान से पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत को कम खतरा है। हालांकि, इसके कारण धरती के बाहरी वायुमंडल के तापमान में वृद्धि हो सकती है, जिससे मोबाइल फोन सिग्नल, जीपीएस नैविगेशन के साथ-साथ रेडियो फ्रेक्वेंसी से काम करने वाले सभी डिवाइसेस प्रभावित होंगे। इससे पृथ्वी को सूर्य की प्रत्यक्ष किरणों से बचाने वाली ओजोन परत भी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।
1989 में तूफान के चलते 12 घंटे बिजली गुल रही थी:
ऐसा ही एक तूफान वर्ष 1989 में भी आया था, जिसके कारण कनाडा के एक शहर में 12 घंटों तक बिजली गुल रही थी और लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ा था। सौर तूफानों की श्रेणी में सबसे शक्तिशाली तूफान 1859 के जिओमैग्नेटिक तूफान को कहा जाता है, जिनसे अमेरिका सहित कई देशों को अपना निशाना बनाया था। अमेरिका के विश्वप्रसिद्ध टेलीग्राफ सिस्टम को तहस-नहस कर दिया था, कई लोग बिना बिजली के इलेक्ट्रिक उपकरणों का इस्तेमाल कर पा रहे थे। आसमान में रौशनी इतनी तेज थी कि अमेरिका के पश्चिम भाग में सूरज की लाइट इतनी तेज थी कि लोग रात को भी अखबार पढ़ पा रहे थे।