पश्चिमी अफ्रीका में 'इबोला' ने मचाया हाहाकार

शुक्रवार, 24 अक्टूबर 2014 (11:55 IST)
जिनेवा। इबोला के शीर्ष विशेषज्ञों ने पश्चिमी अफ्रीका में इबोला महामारी के गहराते प्रकोप पर गंभीर चिंताएं जाहिर की हैं। इस बीमारी का संक्रमण लगभग 10 हजार लोगों में फैल चुका है और मरने वालों की संख्या 4900 के करीब पहुंच चुकी है। 
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस घातक रक्तस्रावी बुखार पर आपात बैठक के बाद कहा कि इस बीमारी से बहुत अधिक प्रभावित हुए देशों- गिनी, लाइबेरिया और सियरा लियोन में मामलों की संख्या में तेज वृद्धि होने की वजह से यहां की स्थिति ‘अभी भी गंभीर चिंता’ का विषय बनी हुई है।
 
इसी दौरान अफ्रीकी संघ आयोग के प्रमुख ने आज कहा है कि वह इबोला से प्रभावित लाइबेरिया, सियरा लियोन और गिनी में एक हजार से ज्यादा स्वास्थ्य कर्मियों को भेजेगा।
 
एन दलामिनी जुमा ने फ्रीटाउन में संवाददाताओं को बताया, ‘कई अफ्रीकी सदस्य देशों ने संकल्प किया है कि वे लाइबेरिया, सियरा लियोन, गिनी और कांगो में लगभग एक हजार स्वास्थ्य कर्मियों को तीन समूहों में भेजेंगे।’
 
डब्ल्यूएचओ के अलर्ट डिवीजन की प्रमुख इसाबेल नटट्ल ने कहा कि पिछले सात दिनों में ही 976 मामले सामने आ चुके हैं।
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि यह महामारी अभी भी ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी आपात स्थिति बनी हुई है और यह अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय है।’ इसने अगस्त में वैश्विक आपात स्थिति की औपचारिक घोषणा की थी, जिससे संगठन को बाहर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। 
 
इसके साथ ही आंतरिक तौर पर भी इसे उन दावों पर गौर करना पड़ा जिनके अनुसार, यह घोषणा बहुत समय बाद की गई क्योंकि पहला मामला गिनी में दिसंबर में ही आ गया था।
 
डब्ल्यूएचओ के उपप्रमुख कीजी फुकुदा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय कई महीनों से इस लड़ाई को लड़ रहा है। 600 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ हाल के कुछ सप्ताहों से इन प्रभावित क्षेत्रों में तैनात हैं।
 
उन्होंने कहा कि इसकी 70-70 योजना का लक्ष्य है कि इबोला से प्रभावित 70 प्रतिशत लोगों को चिकित्सीय तौर पर एक अलग स्थान पर रखा जाना सुनिश्चित किया जाए और मृत शरीरों से भी वायरस फैलने की आशंका को देखते हुए 70 प्रतिशत अंतिम संस्कारों को सुरक्षित रूप से करवाना सुनिश्चित किया जाए।
 
उन्होंने कहा, ‘दिसंबर की शुरूआत तक हम उम्मीद करते हैं कि इसमें कुछ गिरावट देखने को मिलेगी। यह स्पष्ट है कि अभी यह एक चुनौती बनी हुई है।’ (भाषा)

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