पाकिस्तान के साथ शांति मध्य एशिया में भारत को सीधी पहुंच उपलब्ध कराएगी : इमरान खान

Webdunia
बुधवार, 17 मार्च 2021 (18:31 IST)
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बुधवार को कहा कि उनके मुल्क के साथ शांति रखने पर भारत को आर्थिक लाभ मिलेगा। इससे भारत को पाकिस्तानी भू-भाग के रास्ते संसाधन बहुल मध्य एशिया में सीधे पहुंचने में मदद मिलेगी।

खान ने 2 दिवसीय इस्लामाबाद सुरक्षा वार्ता के उद्घाटन भाषण में कहा कि उनकी सरकार ने 2018 में सत्ता में आने के बाद भारत के साथ बेहतर संबंधों के लिए हर चीज की है और अब भारत की बारी है। उन्होंने कहा, भारत को पहला कदम उठाना होगा। वे जब तक ऐसा नहीं करेंगे, हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं।

गौरतलब है कि भारत ने पिछले महीने कहा था कि वह पाकिस्तान के साथ आतंक, बैर और हिंसा मुक्त माहौल के साथ सामान्य पड़ोसी संबंध की आकांक्षा करता है। भारत ने कहा था कि इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है कि वह आतंकवाद और शत्रुता मुक्त माहौल तैयार करे।

भारत ने पाकिस्तान से यह भी कहा था कि ‘आतंकवाद और वार्ता’ साथ-साथ नहीं चल सकती तथा भारत में हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकी संगठनों के खिलाफ ऐसे कदम उठाने को कहा था, जो स्पष्ट रूप से नजर आ सकें।

खान ने पाकिस्तान और भारत के बीच शांति सहित क्षेत्र में शांति के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा, यदि भारत संयुक्त राष्ट्र (प्रस्तावों) के तहत कश्मीरियों को उनका अधिकार देता है, तो यह पाकिस्तान और भारत के लिए काफी फायदेमंद रहेगा। उन्होंने कहा, शांति कायम होने के बाद भारत मध्य एशिया में पहुंच सकता है।

गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान ने 25 फरवरी को यह घोषणा की थी कि वे जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर और अन्य सेक्टरों में संघर्ष विराम पर सभी समझौते का सख्ती से पालन करने के लिए सहमत हुए हैं। खान ने कहा, मध्य एशिया के लिए सीधा मार्ग मिलने से भारत को आर्थिक रूप से फायदा होगा। मध्य एशिया तेल और गैस से परिपूर्ण है।

आधुनिक संदर्भ में मध्य एशिया में संसाधन बहुल देश- कजाखस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान आते हैं। खान ने कहा, जब एक राष्ट्र खुद की रक्षा के लिए खड़ा होता है तभी राष्ट्रीय सुरक्षा हासिल होती है।

खान ने पिछले तीन दशक में 70 करोड़ लोगों को गरीबी के दुष्चक्र से निकालने को लेकर चीन की सराहना करते हुए कहा, यह उनकी बड़ी सफलता है, भले ही चीन को पसंद करते हों या नहीं।(भाषा)

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