लाहौर के आलहमरा में आयोजित एक विचार गोष्ठी के पहले दिन कसूरी ने वरिष्ठ पत्रकार नजाम सेठी के साथ 'भारतीय चुनाव और दक्षिण एशिया में शांति की संभावना' विषय पर चर्चा करते हुए कहा कि हमने करतारपुर कॉरिडोर को खोलने की पहल यह मानते हुए की है कि आपसी संबंध के बिना दोनों देशों के बीच शांति स्थापित नहीं हो सकती है। हकीकत यह है कि दोनों देशों के बीच स्थायी शांति स्थापित करना सिर्फ आपसी संबंध के जरिए ही संभव है, लेकिन दुर्भाग्य से अभी तक यह शुरू नहीं हुई है।
उन्होंने कहा कि मैं दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध कायम करने के लिए फिर से बातचीत शुरू करने को लेकर आशान्वित हूं। प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था कि अगर हम युद्ध नहीं चाहते हैं, तो हमारे पास सिर्फ बातचीत का रास्ता बचता है। कसूरी ने भारत के आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कहा कि अगर विपक्षी पार्टियां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ महागठबंधन बनाती हैं, तो वे आगामी चुनावों में जीत सकती हैं तथा अगली सरकार बना सकती हैं।
उन्होंने कहा कि यदि मोदी फिर से सत्ता में आते हैं, तो उन्हें पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी होगी। वे पहले भी लाहौर आ चुके हैं। ब्रिटेन के वेस्टमिंस्टर विश्वविद्यालय के प्रो. दिव्येश आनंद ने मोदी सरकार की यह कहते हुए आलोचना की है कि नफरत और पाकिस्तान विरोधी राजनीति से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को कोई लाभ नहीं होगा और दोनों देशों के लिए आंतरिक मामले महत्वपूर्ण हैं। पाकिस्तान में भी लोग आंतरिक मामलों को लेकर ज्यादा चिंतित हैं।
उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत में भाजपा फिर से सत्ता में आ सकती है, लेकिन उसकी सीटें बहुमत से थोड़ी कम रह सकती हैं। 6 महीने बाद मोदी की अगुवाई वाली भाजपा पाकिस्तान विरोधी बयानबाजी तथा कुछ घरेलू मुद्दों के जरिए सत्ता में फिर से आ सकती है। बातचीत में शामिल कुछ अन्य लोगों ने भी कहा कि भारत को अंतत: पाकिस्तान के साथ वार्ता करनी पड़ेगी, क्योंकि इसके अलावा उसके पास दूसरा कोई रास्ता नहीं है तथा भारत के आगामी चुनावों में जो भी पार्टी सत्ता में आए, उसे पाकिस्तान के साथ वार्ता बहाल करनी होगी। (वार्ता)