सोल, दक्षिण कोरिया। भारत के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' में दक्षिण कोरिया की भागीदारी के 'न्यौते' के साथ यहां पहुंची विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ वार्ता मे दक्षिण कोरिया के व्यापार, उद्योग व ऊर्जा मंत्री यून सान- जिक ने 'भारत को निवेश के लिए एक आकर्षक स्थल बताते हुए कहा है कि भारत के हाल के घट्नाक्रम के मद्देनजर दक्षिण कोरिया में भारत के साथ आर्थिक संबंध बढ़ाने को लेकर बहुत उम्मीद हैं।
दक्षिण कोरिया की तीन दिवसीय यात्रा पर आज यहां पहुंची विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ हुई वार्ता के दौरान जिक ने यह मत व्यक्त किया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जिक ने कहा भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नई पहल और कार्यक्रमों को लेकर जो नए अवसर बने हैं, उनका देश अपनी कंपनियों को इन अवसरों का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। श्रीमती स्वराज की इस यात्रा को भारत के पूरब के देशों के साथ रिश्ते बढ़ाने की सरकार की 'एक्ट ईस्ट' नीति की और एक और आगे बढ़ते कदम का परिचायक माना जा रहा है।
विदेश मंत्री कल यहां दोनों देशों के संयुक्त आयोग की आठवीं बैठक में हिस्सा लेंगी। उनके साथ इस बैठक की सह अध्यक्षता दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री यून बयुंग-से करेंगे। भारत में नई सरकार के गठन के बाद यह पहली नियोजित बैठक है, जिसमे विभिन्न क्षेत्रों मे द्विपक्षीय संबंध बढ़ाने पर विस्तार से चर्चा होगी।
उनकी इस यात्रा का एजेंडा मुख्य तौर पर सरकार के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के लिए निवेशकों को आकर्षित करने के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा, व्यापार एवं निवेश तथा रक्षा क्षेत्रों सहित बहुआयामी सहयोग बढ़ाने पर विचार करना होगा।
इससे पूर्व आज सोल पहुंचने पर विदेश मंत्री ने दक्षिण कोरिया के व्यापार, उद्योग व ऊर्जा मंत्री यूंग सान-जिक से वार्ता में भारत के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम में भागीदारी करने और भारत में निवेश करने पर जोर दिया।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार जिक ने भी कहा दक्षिण कोरिया भारत को निवेश के लिए एक आकर्षक स्थल मानता है। सूत्रों के अनुसार वार्ता में दोनों देशों ने संयुक्त रूप से भारतीय शिपयार्डों के साथ एल.एन.जी गैस टेकरों के निर्माण की संभावनाओं पर विचार किया।
सूत्रों के अनुसार भारत में एल.एन.जी की जो जरूरतें आने वाले वर्षों में होने वाली है, उसे देखते हुए भारत को इसका काफी आयात करना होगा, ऐसे में सरकार टेंकरों की खरीददारी के अलावा इन टेंकरों के संयुक्त निर्माण पर भी विचार कर रही है। इस पृष्टभूमि में विदेश मंत्री ने इस अहम क्षेत्र में दक्षिण कोरिया से भारत के साथ साझीदारी करने पर खासा जोर दिया।
सूत्रों के अनुसार विदेश मंत्री ने इस चर्चा में दोनों देशों के बीच व्यापार घाटे की वर्तमान स्थिति को दुरूस्त कर उसे बराबरी पर लाए जाने की संभावनाओ पर भी चर्चा की। फिलहाल व्यापार दक्षिण कोरिया के पक्ष में है।
विदेश मंत्री ने राय जाहिर की कि भारतीय फार्मास्युटिकल्स तथा सॉफ्टवेयर निर्यात के लिए बराबरी के स्तर पर व्यापार हो। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार दोनों देशों के बीच सालाना द्विपक्षीय व्यापार इस समय 16 अरब डॉलर के आसपास है। भारतीय कंपनियों ने दक्षिण कोरिया में लगभग दो अरब डॉलर का निवेश किया है।
सूत्रों के अनुसार दोनों पक्षों के बीच आज की वार्ता में आर्थिक रिश्तों को नई गति देने के इस क्रम में दोनों देशों के बीच वाणिज्य मंत्री स्तर की वार्ता भी अगले वर्ष की पहली तिमाही में रखी जाने पर भी सहमति हुई। विदेश मंत्री इस दौरान वहा उद्योग जगत के शीर्ष प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उन्हें भारत में निवेश करने का न्यौता देगी।
द्विपक्षीय सहयोग पर संयुक्त आयोग की स्थापना 1996 में हुई थी जबकि इसकी पिछली बैठक गत नवंबर में हुई थी। श्रीमती स्वराज एक उच्च स्तरीय शिष्टमंडल के साथ यहां की यात्रा पर हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने भी दो दिन पूर्व इस यात्रा की घोषणा करते हुए कहा था 'विदेश मंत्री देश के तीव्र आर्थिक विकास को प्राथमिकता दिए जाने के सरकारी प्रयासों के तहत दक्षिण कोरियाई कंपनियों को ‘मेक इन इंडिया’ पहल में बड़े पैमाने पर भागीदारी करने के लिए आमंत्रित कर सकती है। वह वहां के निवेशकों को भारत में निवेश बढ़ाने के लिए आकर्षित करने का प्रयास करेंगी। निश्चय ही यह सरकार की 'एक्ट ईस्ट नीति' के तहत पूरब के साथ संबंध बढ़ाने की दिशा में एक और पहल है।
प्रवक्ता ने कहा दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ मैत्री पूर्ण संबंध है। सरकार इस बात के लिए बहुत इच्छुक है कि कोरियाई जहाज विनिर्माण कंपनियां रक्षा क्षेत्र सहित भारत की जहाज विनिर्माण गतिविधियों में शामिल हों, जिसमें 49 प्रतिशत तक विदेशी भागीदारी की छूट है।
उन्होंने कहा, ‘हम रक्षा विनिर्माण के लिए संयुंक्त उप्रकमों में तथा अपने रक्षा खरीद कार्य्रकमों में भागीदारी के लिए कोरियाई भागीदारी का स्वागत करते हैं। हमारा मानना है कि निश्चय ही इस तरह से देशों देशों के बीच इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग का एक नया माहौल बनेगा।
दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि फिलहाल 300 कोरियाई कंपनियों ने भारत में लगभग तीन अरब डॉलर का निवेश किया हुआ है और भारत में उनके कर्मचारियों की संख्या लगभग 40,000 है। दोनों देशों के बीच सालाना द्विपक्षीय व्यापार इस समय 16 अरब डॉलर के आसपास है। भारतीय कंपनियों ने दक्षिण कोरिया में लगभग दो अरब डॉलर का निवेश किया है। विदेश मंत्री इस बैठक की सह अध्यक्षता के अलावा कल दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति पार्क जेउन-हई से भी भेंट करेंगी। (वीएनआई)