जानकारी के मुताबिक दोनों ही देश दो माह के भीतर दूतावास खोलने के लिए राजी हो गए हैं। दूसरी ओर, सऊदी अरब की एजेंसी सऊदी प्रेस एजेंसी ने भी इस समझौते की पुष्टि की है। इसके साथ ही दोनों देशों ने एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने के मामले में भी सहमति जताई है।
दरअसल, वर्ष 2016 के बाद दोनों देशों के बीच उस समय संबंध खराब हो गए थे जब सऊदी अरब ने प्रमुख शिया धर्मगुरु को फांसी पर लटका दिया था। इस घटना के बाद ईरान में सऊदी अरब के इस फैसले के खिलाफ हिंसा भड़क गई थी।
बदलेंगे क्षेत्रीय समीकरण : जानकारों की मानें तो यदि दोनों के देशों के बीच संबंध सामान्य होते हैं तो मध्य एशिया में नए समीकरण देखने को मिल सकते हैं। क्योंकि दोनों देशों के बीच लेबनान, सीरिया और यमन जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर तनाव देखने को मिलता रहा है। दूसरी ओर, जहां सऊदी अरब को जहां अमेरिका का करीबी माना जाता है, वहीं ईरान अमेरिका को को फूटी आंख नहीं देखना। ईरान के करीबी रिश्ते रूस के साथ हैं। वहीं, दोनों देशों को करीब लाने वाले चीन के रिश्ते भी अमेरिका के साथ सामान्य नहीं हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala