जेम्स वेब टेलीस्कोप ने भेजी हैं यूरेनस ग्रह की विस्मयकारी तस्वीरें

राम यादव

शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023 (16:09 IST)
यूरेनस जिसे हिन्दी में उरण कहा जाता है, हमारे सौरमंडल का 7वां ग्रह है। सूर्य से औसतन 2 अरब 90 करोड़ किलोमीटर दूर रहकर 84 वर्षों में उसकी एक परिक्रमा पूरी करने वाला यह ग्रह शनि जैसा ही न केवल एक बर्फीला दैत्य है, शनि की ही तरह वह भी कई वलयों (छल्लों/ रिंगों) से घिरा हुआ है। अब तक की सबसे शक्तिशाली अंतरिक्ष दूरदर्शी ने हाल ही में उसकी ऐसी तस्वीरें ली हैं जिनसे वैज्ञानिक बाग-बाग हो गए हैं।
 
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) हमारी पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर एक ऐसी कक्षा में स्थापित दूरदर्शी है, जो वहां से ब्रहमांड के उत्पत्तिकाल तक की अकल्पनीय गहराइयों तक में झांककर ऐसे-ऐसे रहस्य उद्घाटित कर रहा है जिनसे वैज्ञानिक भी अवाक् रह जाते हैं। पिछले साल उसने हमारे सौरमंडल के नेपच्यून (वरुण) ग्रह की अपूर्व तस्वीरें भेजी थीं। इस बार यूरेनस की बारी थी।
 
महीन धूल के 2 छल्ले हैं :  जेम्स वेब की प्रभारी टीम द्वारा जारी की गई छवि में यूरेनस ग्रह महीन धूल के 2 छल्लों से घिरा दिखता है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का कहना है कि अब तक केवल 2 तस्वीरों में ये छल्ले दिखे थे। एक भेजी थी वॉयेजर2 अंतरिक्ष यान ने, जब वह 1986 में यूरेनस के पास से गुज़रा था और दूसरी तस्वीर ली थी हवाई द्वीप पर की वेधशाला के दूरदर्शी ने।
 
37 वर्ष पूर्व की वॉयेजर2 की भेजी तस्वीरों में यूरेनस हरे-नीले रंग की एक गेंद की तरह दिखता है। कोई अन्य विशेषताएं नज़र नहीं आतीं। उस समय टेलीस्कोप-तकनीक उतनी विकसित नहीं थी, जैसी विकास के जिस शिखर पर आज जेम्स वेब टेलीस्कोप है। जेम्स वेब की तस्वीरों में अपूर्व बारीक़ियां और विवरण मिलते हैं। नासा द्वारा जारी की गई नई छवि यूरेनस के आस-पास के कई छल्लों के साथ-साथ इस ग्रह के वायुमंडल में कई उज्ज्वल विशेषताओं को भी दिखाती है।
 
उत्तरी ध्रुव पर एक ध्रुवीय टोपी है : जेम्स वेब की तस्वीरों में अन्य बातों के अलावा यूरेनस के उत्तरी ध्रुव पर एक ध्रुवीय टोपी भी है। शोधकर्ताओं ने वहां एक रहस्यमयी घटना होते देखी। ऐसा लगता है कि ध्रुवीय टोपी तब उभरने लगती है, जब गर्मियों में सूर्य प्रकाश की सीधी किरणें उस पर पड़ती हैं। शरद ऋतु में वे फिर से गायब हो जाती हैं। इस घटना को भलीभांति समझने के लिए शोधकों को अभी और अधिक डेटा की जरूरत है।
 
तस्वीरों में 2 बादल भी देखे जा सकते हैं। समझा जाता है कि उनका संबंध यूरेनस पर बर्फ के विशालकाय तूफानों से होना चाहिए। इन तस्वीरों में ग्रह के अलावा उसके 13 में से 11 बर्फीले वलयों (छल्लों) को भी देखा जा सकता है। कुछ वलय इतने चमकीले और एक-दूसरे के इतने निकट हैं, मानो वे आपस में जुड़कर एक चौड़ी पट्टी बन गए हैं या बन रहे हैं। मुख्य वलय या छल्ले 9 हैं। 2 अन्य वलय महीन धूल से बने वलय हैं जिन्हें पहली बार 1986 में वॉयेजर2 ने वहां से गुज़रते समय पाया था।

मौसम बहुत ही उग्र किस्म का हैः मौसम बहुत ही उग्र किस्म का है। यूरेनस के कुल 27 ज्ञात उपग्रह (चांद) हैं जिनमें से 6 (एरियल, पक, मिरांडा, उम्ब्रियल, टाइटेनिया और ओबेरॉन) को ग्रह के दूर तक फैले व्यापक दायरे में देखा जा सकता है।
 
यूरेनस सौरमंडल का एक अनोखा ग्रह है। वह अपनी परिक्रमा कक्षा के तल से लगभग 90 अंश के कोण पर रहकर सूर्य की परिक्रमा करता है। इसी कारण इस दैत्याकार बर्फीले ग्रह पर बहुत ही उग्र क़िस्म का मौसम बनता है। ग्रह का प्रत्येक ध्रुव कई वर्षों तक लगातार सूर्य के प्रकाश में रहता है, इसके बाद उतने ही लंबे समय तक वह पूर्णत: अंधकार में विलीन हो जाता है।
 
सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में यूरेनस को कुल मिलाकर 84 वर्ष लग जाते हैं। तस्वीरें दिखाती हैं कि ठीक इन दिनों यूरेनस के उत्तरी ध्रुव पर ढलता हुआ वसंत है। 2028 में वहां गर्मी होगी (हालांकि वह तब भी बर्फ से ही ढंका रहेगा) जबकि इस समय ग्रह के दक्षिणी ध्रुव पर तब तक के लिए अंधेरा है।
 
सिर्फ़ 12 मिनट का एक्सपोज़र : नासा ने बताया कि जेम्स वेब दूरदर्शी ने यूरेनस की इस समय जो तस्वीरें ली हैं, वे केवल 2 फिल्टरों का उपयोग करते हुए सिर्फ 12 मिनट के एक्सपोज़र से बनी हैं। नासा का कहना है कि यह तो इस रहस्यमय ग्रह का किसी हिमशैल की तरह का केवल ऊपरी सिरा है। देखते रहिए कि जेम्स वेब अभी और क्या-क्या कर दिखाता है।
 
इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का ध्यान यूरेनस की तरफ अभी कई और बार भी जाएगा। शोधकर्ताओं की सर्वसम्मत इच्छा भी यही है कि आने वाले वर्षों में यूरेनस को निकट से जानने के लिए वहां अंतरिक्ष यान जैसा कोई विशेष मिशन भेजा जाना चाहिए।
(इस लेख में व्यक्त विचार/ विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/ विश्लेषण 'वेबदुनिया' के नहीं हैं और 'वेबदुनिया' इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेती है।)

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