ईरानी कुर्दिश शहर साकेज़ की 22 साल की महसा अमीनी को तेहरान में घूमने के दौरान 13 सितंबर को इस्लामिक पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उन्होंने हिजाब ठीक तरीके से नहीं पहना था। उनके हिजाब से बाल बाहर आ रहे थे। इस आरोप में उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाया गया। जहां उनकी तबीयत खराब होने के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया था। 3 दिनों बाद ही 16 सितंबर को उनकी मौत हो गई। परिजनों ने पुलिस पर महसा के साथ मारपीट का आरोप लगाया है। इसके बाद से ही इस देश के कई शहरों में प्रदर्शन जारी है। ईरान में महसा अमीनी की मौत के बाद विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला थम नहीं रहा है। हिजाब के खिलाफ हो रहे विरोधों में 2 हफ्ते में ही 83 लोगों की जान जा चुकी है।
इस बीच जानना जरूरी है कि आखिर दुनिया बुर्का, हिजाब या नकाब को लेकर क्या सोचती है। किन देशों में इसे लेकर कानून है और कहां हिजाब को लेकर विवाद है। आइए जानते हैं किन देशों में बुर्के के लिए क्या है नियम
फ़्रांस
11 अप्रैल 2011 को फ़्रांस सार्वजनिक स्थानों पर पूरे चेहरे को ढकने वाले इस्लामी नक़ाबों पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला यूरोपीय देश था। यहां कोई भी महिला फिर वो फ्रांसिसी हो या विदेशी, घर के बाहर पूरा चेहरा ढककर नहीं जा सकती थी। फ्रांस में क़रीब 50 लाख मुस्लिम महिलाएं रहती हैं। पश्चिमी यूरोप में ये संख्या सबसे ज़्यादा है, लेकिन महज़ 2 हज़ार महिलाएं ही बुर्क़ा पहनती हैं।
नीदरलैंड्स
नवंबर 2016 में नीदरलैंड्स के सांसदों ने स्कूल-अस्पतालों जैसे सार्वजनिक स्थलों और सार्वजनिक परिवहन में सफ़र के दौरान पूरा चेहरा ढकने वाले इस्लामिक नक़ाबों पर रोक का समर्थन किया। जून 2018 में नीदरलैंड्स ने चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाया।
इटली
इटली के कुछ शहरों में चेहरा ढकने वाले नक़ाबों पर प्रतिबंध है। इसमें नोवारा शहर भी शामिल है। इटली के लोंबार्डी क्षेत्र में दिसंबर 2015 में बुर्क़ा पर प्रतिबंध को लेकर सहमति बनी और ये जनवरी 2016 से लागू हुआ था।
बेल्जियम
बेल्जियम में भी पूरा चेहरा ढकने पर जुलाई 2011 में ही प्रतिबंध लगा दिया गया था।
जर्मनी
6 दिसंबर 2016 को जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल ने कहा कि देश में जहां कहीं भी क़ानूनी रूप से संभव हो, पूरा चेहरा ढकने वाले नक़ाबों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
ऑस्ट्रिया
अक्टूबर 2017 में ऑस्ट्रिया में स्कूलों और अदालतों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
नॉर्वे
नॉर्वे में जून 2018 में पारित एक क़ानून के तहत शिक्षण संस्थानों में चेहरा ढकने वाले कपड़े पहनने पर रोक है।
स्पेन
साल 2010 में इसके बार्सिलोना शहर में नगर निगम कार्यालय, बाज़ार और पुस्तकालय जैसे कुछ सार्वजनिक जगहों पर पूरा चेहरा ढकने वाले इस्लामिक नक़ाबों पर प्रतिबंध की घोषणा की गई थी।
ब्रिटेन
ब्रिटेन में इस्लामिक पोशाक़ पर कोई रोक नहीं है, लेकिन वहां स्कूलों को अपना ड्रेस कोड ख़ुद तय करने की इजाज़त है। अगस्त 2016 में हुए एक पोल में 57 प्रतिशत ब्रिटेन की जनता ने यूके में बुर्क़ा प्रतिबंध कके पक्ष में मत ज़ाहिर किया था।
अफ़्रीका
साल 2015 में बुर्काधारी महिलाओं ने कई बड़े आत्मघाती धमाकों को अंजाम दिया। इसके बाद चाड, कैमरून के उत्तरी क्षेत्र, नीजेर के कुछ क्षेत्रों और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो में पूरा चेहरा ढकने पर रोक लगा दी गई थी।
तुर्की
तुर्की के संस्थापक मुस्तफ़ा कमाल अतातुर्क ने हिजाब को पिछड़ी सोच वाला बताते हुए इसे ख़ारिज कर दिया था। 2008 में तुर्की के संविधान में संशोधन कर के विश्वविद्यालयों में सख़्त प्रतिबंधों में थोड़ी छूट दी गई। फिर ढीले बंधे हिजाब को मंज़ूरी मिल गई। हालांकि, गर्दन और पूरा चेहरा छिपाने वाले नक़ाबों पर रोक जारी रही।
डेनमार्क
डेनमार्क की संसद ने 2018 से पूरा चेहरा ढकने वालों के लिए जुर्माने का प्रावधान है। इस क़ानून के मुताबिक़, अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार इस पाबंदी का उल्लंघन करता पाया जाएगा तो उस पर पहली बार के मुक़ाबले 10 गुना अधिक जुर्माना लगाया जाएगा या छह महीने तक जेल की सज़ा होगी। बुर्क़ा पहनने के लिए मजबूर करने वाले को जुर्माना या दो साल तक जेल हो सकती है।
रूस
रूस के स्वातरोपोल क्षेत्र में हिजाब पहनने पर रोक है। रूस में ये इस तरह का पहला प्रतिबंध है। जुलाई 2013 में रूस की सुप्रीम कोर्ट ने इस फ़ैसले को बरक़रार रखा था।
स्विट्ज़रलैंड
साल 2009 में स्विस न्याय मंत्री रहीं एवलीन विडमर ने कहा था कि अगर ज़्यादा महिलाएं नक़ाब पहने दिखीं तो इस पर प्रतिबंध को लेकर विचार किया जाना चाहिए। सितंबर 2013 में स्विट्ज़रलैंड के तिसिनो में 65 प्रतिशत लोगों ने किसी भी समुदाय द्वारा सार्वजनिक स्थलों में चेहरा ढकने पर प्रतिबंध के समर्थन में वोट किया। स्विट्ज़रलैंड की 80 लाख की आबादी में क़रीब 3 लाख 50 हज़ार मुसलमान हैं।
बुल्ग़ारिया
अक्टूबर 2016 में बुल्ग़ारिया की संसद ने एक विधेयक को पारित किया जिसके मुताबिक़, जो महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकती हैं उन पर जुर्माना लगाया जाए।
बुर्का पर क्या हैं डॉ. आंबेडकर की राय?
40 के दशक में लिखी अपनी किताब पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन में उन्होंने लिखा है,
पर्दा प्रथा की वजह से मुस्लिम महिलाएं अन्य जातियों की महिलाओं से पिछड़ जाती हैं। वो किसी भी तरह की बाहरी गतिविधियों में भाग नहीं ले पातीं हैं, जिसके चलते उनमें एक प्रकार की दासता और हीनता की मनोवृत्ति बनी रहती है। उनमें ज्ञान प्राप्ति की इच्छा भी नहीं रहती, क्योंकि उन्हें यही सिखाया जाता है कि वो घर की चारदीवारी के बाहर वे अन्य किसी बात में रुचि न लें
क्या फर्क है बुर्का, नकाब, हिजाब और अल अमीरा में? हिजाब नकाब से काफी अलग होता है। पर्दे को भी हिजाब कहा जाता है। कुरान में पर्दे का मतलब किसी कपड़े के पर्दे से नहीं बल्कि पुरुषों और महिलाओं के बीच के पर्दे से है। वहीं, हिजाब में बालों को पूरी तरह से ढकना होता है यानी हिजाब का मतलब सिर ढकने से है। हिजाब में महिलाएं सिर्फ बालों को ही ढकती हैं। किसी भी कपड़े से महिलाओं का सिर और गर्दन ढके होना ही असल में हिजाब कहा जाता है, लेकिन महिला का चेहरा दिखता रहता है।
बुर्का एक चोले की तरह होता है, जिसमें महिलाओं का शरीर पूरी तरह से ढका होता है। इसमें सिर से लेकर पांव तक पूरा शरीर ढकने का साथ आंखों पर एक पर्दा किया जा सकता है। इसके लिए आंखों के सामने एक जालीदार कपड़ा लगा होता है, जिससे कि महिला बाहर का देख सके। इसमें महिला के शरीर का कोई भी अंग दिखाई नहीं देता। कई देशों में इसे अबाया भी कहा जाता है।
नकाब एक तरह से कपड़े का परदा होता है, जो सिर और चेहरे पर लगा होता है। इसमें महिला का चेहरा भी नज़र नहीं आता है। लेकिन, नकाब में आंखें कवर नहीं होती हैं। हालांकि, चेहरे पर यह बंधा होता है। दुपट्टा एक तरह से लंबा स्कार्फ होता है, जिससे सिर ढका होता है और यह कंधे पर रहता है। यह महिला की ड्रेस से मैचिंग का भी हो सकता है। साउथ एशिया में इसका इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है और इसे शरीर पर इसे ढिले-ढाले तरीके से ओढ़ा जाता है। यह हिजाब की तरह नहीं बांधा जाता है।
अल-अमीरा दो कपड़ों का सेट होता है। एक कपड़े को टोपी की तरह सिर पर पहना जाता है। दूसरा कपड़ा थोड़ा बड़ा होता है जिसे सिर पर लपेटकर सीने पर ओढ़ा जाता है। Edited: By Navin Rangiyal